आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि 16 जनवरी को सबसे पहले निर्माण स्थल की पूजा की जाएगी। जहां निर्माण हुआ है उसे शास्त्रीय भाषा में कर्मकुटी कहा जाता है। इसलिए 16 जनवरी को कर्मकुटी की पूजा होगी।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हो जाएगा। अनुष्ठान की तैयारी को लेकर काशी के आचार्य भी अयोध्या पहुंच गए हैं। वैदिक आचार्य सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि नवनिर्मित अचल मूर्ति के दर्शन आचार्यों को 18 जनवरी को पहली बार होंगे। पूजन के लिए पांच वेदियां बनेंगी। मुख्य वेदी में विराजमान रामलला को ही बिठाकर पूजन के संस्कार किए जाएंगे।
शुक्रवार को आचार्यों ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के साथ बैठक भी की। बैठक के बाद आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि रोजाना आठ घंटे पूजन की प्रक्रिया चलेगी। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में देश भर के 121 आचार्य शामिल होंगे। काशी के प्रसिद्ध आचार्य गणेश्वर द्रविड़ व लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में समस्त अनुष्ठान होंगे। शुरुआत 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजन से होगी। यजमान की शुद्धता के लिए प्रायश्चित पूजन किया जाता है। इसी दिन मां सरयू की भी पूजा होगी। पूजन के लिए पांच वेदियां बनाई जा रही हैं। योगिनी, क्षेत्रपाल, वास्तु वेदी की स्थापना होगा। पद्मिनी वेदी में विराजमान रामलला को स्थापित कर पूजन संस्कार कराए जाएंगे। नवनिर्मित मूर्ति आकार में बड़ी है, इसलिए उसे बार-बार इधर-उधर नहीं किया जा सकता। इसी के चलते अनुष्ठान की प्रक्रिया छोटी मूर्ति के साथ पूरी की जाएगी। हालांकि प्राण प्रतिष्ठा दोनों मूर्तियों की होगी। पूजन के जो विधिविधान व संस्कार छोटी मूर्ति के होंगे वहीं अचल मूर्ति के भी होंगे।
सबसे पहले निर्माण स्थल पर होगा पूजन
आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि 16 जनवरी को सबसे पहले निर्माण स्थल की पूजा की जाएगी। जहां निर्माण हुआ है उसे शास्त्रीय भाषा में कर्मकुटी कहा जाता है। इसलिए 16 जनवरी को कर्मकुटी की पूजा होगी। मूर्ति का निर्माण रामसेवकपुरम व विवेक सृष्टि के परिसर में हुआ है। रामसेवकपुरम में दो व विवेक सृष्टि में एक मूर्ति का निर्माण हुआ है। इन स्थलों पर पूजन होगा।
एक हजार छिद्रों वाले कलश से होगा जलाभिषेक
आचार्य अरुण दीक्षित के अनुसार गणेश पूजन के साथ 18 दिसंबर से विधिवित अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे। 20 जनवरी को मंदिर के गर्भगृह को 81 कलशों के जल से धोने के बाद वास्तु शांति और अन्नाधिवास होगा। 21 जनवरी को भगवान के विराजमान विग्रह व अचल विग्रह का 96 कलशों व एक हजार छिद्रों वाले कलश से दिव्य स्नान के बाद शैयाधिवास कराया जाएगा।
The post राम मंदिर: विराजमान रामलला को केंद्रित करके ही होंगे प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान appeared first on CG News | Chhattisgarh News.