रेलवे ने रविवार को लोको पायलटों को विवादास्पद जर्मन ब्रेकिंग सिस्टम से लैस ट्रेनों में निर्धारित गति सीमा का पालन करने का निर्देश दिया। इस संबंध में सभी जोनों को पत्र जारी किया गया है।
एक दिन पहले एक प्रारंभिक रिपोर्ट में सामने आया था कि दोषपूर्ण ब्रेक सिस्टम के कारण सुल्तानपुर में गुरुवार को दो मालगाड़ियां आपस में टकरा गई थीं। इसके साथ ही ब्रेकिंग तकनीक की बारीकी से निगरानी करने के भी निर्देश जोनों को दिए गए हैं।
जर्मन निर्मित बोगी माउंटेड ब्रेक सिस्टम (BMBS) से लैस मालगाड़ियों से जुड़ी कई शिकायतों और दुर्घटनाओं के बाद रेलवे जोन को पिछले साल लोडेड ट्रेनों की अधिकतम गति को निर्धारित करने का निर्देश दिया गया था। इसमें ढलान पर 50 किमी प्रति घंटा, आईआर के लेवल ट्रैक पर 65 किमी प्रति घंटे और डीएफसी पर अधिकतम 80 किमी प्रति घंटा से गाड़ी चलाने को कहा गया था।
एक प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्घटना में शामिल एक ट्रेन भरी हुई थी और ढाल की ओर 65 किमी प्रति घंटे की गति से चल रही थी और ब्रेक अप्रभावी थे। एसपीएडी (सिग्नल पास एट डेंजर) के बढ़ते मामलों को देखते हुए रेलवे ने रविवार को जोन के लिए एक महीने का सुरक्षा अभियान शुरू करने का निर्देश भी जारी किया।
उल्लेखनीय है कि सुलतानपुर स्टेशन पर दूसरी मालगाड़ी को टक्कर मारने की घटना के पीछे रेलवे दो पहलुओं पर जांच कर रहा है। माना जा रहा है कि वाराणसी से आ रही मालगाड़ी के लोको पायलट ने लाल सिग्नल होने पर अधिक गति के बाद ब्रेक लगायी, लेकिन वह लग नहीं सकी। दूसरी दिशा ब्रेक का इस्तेमाल देरी से करने की ओर टिकी है। इस हादसे में चारों लोको पायलट घायल हो गए थे।
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