हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बशीर अहमद पीर उर्फ इम्तियाज आलम की पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उसे हिजबुल का ‘लॉन्चिंग कमांडर’ कहा जाता था। बशीर पर कश्मीर में कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप था। बशीर की सोमवार शाम इस्लामाबाद के रावलपिंडी में एक दुकान के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
पांच महीने पहले अक्टूबर में केंद्र सरकार ने बशीर को ‘आतंकवादी’ घोषित किया था। कश्मीर में भी उसे पकड़ने की कोशिश की जा रही थी। हालांकि, बशीर ने कश्मीर में अपना कुपवाड़ा वाला घर छोड़ दिया और पाकिस्तान में रहने लगा। वह भारतीय खुफिया तंत्र की पहुंच से बाहर हो गया था।
बशीर 2000 से उग्रवादी समूहों की गतिविधियों से जुड़ा रहा है। लेकिन वह मुख्य रूप से पाकिस्तान से काम करता था। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, हिजबुल प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के करीबी और हिजबुल आतंकवादियों के तीसरे-इन-कमांड के रूप में जाना जाने वाला यह उग्रवादी नेता, हाल ही में नए आतंकवादियों को भारत भेजने और समूह में आतंकवादियों की भर्ती करने के लिए जिम्मेदार था। बशीर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से हथियारों और धन की तस्करी भी करता था।
दिल्ली में पिछले साल अक्टूबर में बशीर पर अलर्ट जारी किया था। ऐसा बताया गया था कि बशीर पुराने उग्रवादियों को एक साथ संगठित करने की कोशिश कर रहा था। साथ ही पूर्व-आतंकवादियों और कैडरों को जुटाने के लिए ऑनलाइन अभियान चला रहा है।
मई 2019 में, बशीर पर कश्मीर में अल कायदा आतंकवादी समूह की एक यूनिट के मुख्य कमांडर की हत्या का भी आरोप लगाया गया था।
इससे पहले मार्च 2007 में बशीर को पाकिस्तान के सैन्य खुफिया विभाग ने हिरासत में लिया था। उस वक्त पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बशीर का साथ दिया था। उनके आदेश पर, बशीर को पाकिस्तानी खुफिया विभाग ने रिहा कर दिया था। हालांकि, सोमवार शाम को इस बात की जांच शुरू हुई कि उस पाकिस्तान में बशीर को किसने मारा।
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