नई दिल्ली | डेस्क: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि भारत में लोकसभा चुनाव एक नियंत्रित चुनाव था. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि एक निष्पक्ष चुनाव में भाजपा 246 सीट तक भी जीत सकती थी.
राहुल गांधी अमेरिका के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ बातचीत कर रहे थे.
राहुल गांधी ने कहा, “चुनाव से पहले हमें इस बात की चिंता थी कि संस्थानों पर कब्ज़ा कर लिया गया है… हमारे लिए यह फ़ेयर गेम नहीं था. शिक्षा व्यवस्था पर आरएसएस ने कब्ज़ा कर लिया है. मीडिया और जांच एजेंसियों पर कब्ज़ा है. हम यह लोगों को बता रहे थे लेकिन वे इस बात को नहीं समझ पा रहे थे…”
उन्होंने कहा- इसके बाद मैंने संविधान को अपने साथ रखना शुरू कर दिया और लोगों को सब समझ में आने लगा… भारत के ग़रीब और पीड़ित लोगों को समझ में आ गया कि अगर संविधान गया तो सबकुछ चला जाएगा. ग़रीब लोगों को यह समझ में आ गया कि ये लड़ाई संविधान को बचाने वालों और इसे ख़त्म करने वालों के बीच है.
राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना का मुद्दा भी बड़ा हुआ. ये सब चीज़ें अचानक से साथ हो गईं.
उन्होंने लोकसभा चुनाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि एक निष्पक्ष चुनाव में भाजपा 246 सीट तक भी जीत सकती थी. उनके पास वित्तीय सहायता थी, उन्होंने हमारे बैंक अकाउंट लॉक कर दिए. चुनाव आयोग वही कर रहा था जो वो चाहते थे.
राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पूरा चुनाव अभियान इस तरह से तैयार किया गया कि नरेंद्र मोदी पूरे देश में अपना काम कर सकें. जिन राज्यों में वे कमज़ोर थे उन्हें अलग तरीके से डिज़ाइन किया गया, जहां वे मजबूत थे, वहां अलग तरीके से डिज़ाइन किया गया. मैं इसे स्वतंत्र चुनाव नहीं मानता. मैं इसे नियंत्रित चुनाव मानता हूं.
राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव प्रचार के अभियान के आधे समय तक मोदी को नहीं लगा था कि वे 300-400 सीटों के करीब पहुंच गए हैं. जब उन्होंने कहा कि मैं सीधा भगवान से बात करता हूं, तब हमें पता चल गया था कि हमने उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. हमने इसे मनोवैज्ञानिक पतन के रूप में देखा. नरेंद्र मोदी को सत्ता में लाने वाला गठबंधन टूट गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार और दो या तीन बड़े बिजनेस के बीच बड़ी सांठगांठ है. ओबीसी और दलितों को धोखा दिया जा रहा है.
जाति जनगणना का महत्व बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप दलित, आदिवासी और ओबीसी को देखें तो वे 73 प्रतिशत हैं. जबकि 70 में मात्र एक आदिवासी, तीन दलित, तीन ओबीसी और एक अल्पसंख्यक हैं. भारत के 90 प्रतिशत लोगों को सरकार में मात्र 10 प्रतिशत जगह दी गई है.
उन्होंने कहा कि अगर आप वित्तीय आंकड़े देखें तो आदिवासियों को 100 रुपये में मात्र 10 पैसे, दलित को पांच रुपये और ओबीसी को भी इतने ही मिलते हैं. तो मुद्दे की बात यह है कि इन लोगों की सहभागिता नहीं हैं.
राहुल गांधी ने कहा कि समस्या यह है कि 90 प्रतिशत लोगों को हिस्सा ही नहीं मिल रहा है. भारत के बड़े व्यापारियों की सूची देखें तो शीर्ष 200 व्यापारियों में मात्र एक ओबीसी है, जबकि ये भारत की आबादी का पचास प्रतिशत हैं. हम सिस्टम को नहीं समझ रहे हैं, यही समस्या है.
राहुल गांधी ने कहा कि अब ये सिर्फ एकमात्र तरीका नहीं है, इसके अलावा भी दूसरे तरीके हैं. लेकिन जब भारत एक निष्पक्ष देश होगा तब हम आरक्षण को ख़त्म करने का सोचेंगे. और भारत निष्पक्ष देश नहीं है. इससे समस्या भी खड़ी होती है. क्योंकि सवर्ण जाति से आने वाले बहुत से लोग सवाल उठाते हैं कि हमने क्या गलत किया, हमें क्यों सज़ा दी जा रही है. इसीलिए आप इन सब चीज़ों की आपूर्ति को बढ़ाने के बारे में सोचते हैं. आप सत्ता के विकेंद्रीकरण के बारे में सोचते हैं. आप अपने देश की शासन प्रणाली में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को शामिल करने के बारे में सोचते हैं.
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