बिलासपुर| संवाददाताः वंदे भारत ट्रेन के नाम पर रेलवे के अधिकारियों ने सैकड़ों हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवा दी है. इसके लिए रेलवे ने वन विभाग से अनुमति तक नहीं ली है. इसकी शिकायत मिलने पर वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो कटे हुए पेड़ गायब थे और सिर्फ ठूंठ ही बचे हुए थे.
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर डिवीजन द्वारा वंदे भारत ट्रेनों के लिए नई पिट लाइन और मरम्मत के लिए डिपो का निर्माण किया जा रहा है. रेलवे ने जहां डिपो बनाने का फ़ैसला लिया, वहां सैकड़ों की तादात में हरे-भरे पेड़ लगे हुए थे.
रेलवे ने 14 मई 2024 को 242 पेड़ों को काटने और 50 पेड़ों को शिफ्ट करने की अनुमति के लिए वन विभाग को पत्र लिखा था. लेकिन अनुमति नहीं मिलने के बाद भी रेलवे ने 267 पेड़ कटवा दिए.
वन विभाग ने पेड़ों की कटाई के संबंध में कागजात की मांग की तो रेलवे के अधिकारी पेड़ों की कटाई के लिए मांगी गई अनुमति की चिट्ठी का हवाला देने लगे.
बताया गया कि रेलवे ने डीएफओ को जो पत्र लिखा था, उसमें काटने वाले पेड़ों का वर्णन किया था. साथ ही संख्या का भी उल्लेख किया था.
इनमें नीम और महानीम के 25 पेड़, पलासा के 2 पेड़, बबूल के 37 पेट थे. गंगा इमली, गुलमोहर, करही के एक-एक पेड़ शामिल थे.
इसके अलावा 30 सेमी गोलाई वाले बबूल, नीम, गंगा इमली और सोबबूल के 155 पेड़ों सहित कुल 242 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी थी.
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने इसे जनहित याचिका में शामिल कर लिया है.
इस जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस ने राज्य शासन व रेलवे के अफसरों से पूछ है कि बगैर अनुमति के इस तरह का काम क्यों किया गया है.
चीफ जस्टिस ने रेलवे के अफसरों व राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने निर्देश दिया है.
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