रायपुर, 13 अक्टूबर 2022/छत्तीसगढ़ के जंगलों में वन्य प्राणियों और वन क्षेत्रों के ग्रामीणों के लिए सालभर पानी की उपलब्धता बनाएं रखने के लिए वन विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाएं बनाई जा रही है। इन संरचनाओं के बनने से वन क्षेत्रों में नमी बनी रहती है।
साथ ही वन्य प्राणियों के पीने के पानी की उपलब्धता बनी रहती है। आसपास के गांव वालों को भी इन संरचनाओं से बारहमासी निस्तार की सुविधा मिलती है। इस तरह राज्य सरकार द्वारा संचालित नरवा विकास कार्यक्रम सुदूर वनांचल में वनवासियों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है।
वन विभाग द्वारा कैम्पा मद की वार्षिक कार्ययोजना 2020-21 के भाग-2 में प्राप्त आबंटन के तहत बीजापुर वनमण्डल के भैरमगढ़ परिक्षेत्र के पोन्दुम गांव के कर्रेपारा में मिट्टी का बांध बनाया गया है। इस बांध का निर्माण 33 लाख 67 हजार रूपए की लागत से कराया गया है।
वनांचल क्षेत्र में बनाई जा रही भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन की संरचनाएं वनों, वन्य प्राणियों, वन ग्रामों के ग्रामीणों और उनकी पशुआंे के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही हैं। इन संरचनाओं के निर्माण में आसपास के गांवों के ग्रामीणों को मजदूरी के रूप में रोजगार मिलता है और पानी का बारहमासी इंतजाम भी हो जाता है।
ग्राम पोन्दुम में निर्मित कराया गया 172 मीटर लंबे मिट्टी के बांध में पोन्दुम सहित आदिगुड़ा, पल्लेवाया, पातरपारा आदि गांवों के लोगों को रोजगार मिला। इस बांध का कैचमेंट क्षेत्रफल 40.03 एकड़ और जलभराव का क्षेत्रफल 4.84 एकड़ है।
वन क्षेत्रों में बनने वाले वाटर हार्वेस्टिंग इकाईयों में वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर मछली पालन जैसी आयमूलक गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं।
पोन्दुम गांव में बने मिट्टी के बांध में गांव की ग्राम स्तरीय समिति द्वारा ग्रामीणों के लिए मछली पालन किया जा रहा है। मिट्टी के इस बांध में रोहू, ग्रासकार्प, कॉमनकार्प और कतला प्रजाति की मछलियों के 100 किलो मछली बीज डालें गए हैं।