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विधानसभा में पारित बिलों को रोककर रखने की राजभवन की भूमिका की हो समीक्षा- भूपेश

रायपुर 14 अप्रैल।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में पारित बिलों को मंजूरी नही देने और उन्हे रोक कर रखने की प्रवृत्ति की निन्दा करते हुए कहा हैं कि राजभवन की इस मामले की भूमिका की समीक्षा होनी चाहिए।

श्री बघेल ने आज यहां डा.अंबेडकर जयंती के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों में विधानसभा में पारित बिलों को राजभवन में रोका जा रहा है और उस पर राज्यपाल हस्ताक्षर नही कर रहे हैं,और न ही बिल को सरकार को वापस कर रहे हैं। उन्होने तमिलनाडु में विधानसभा मे पारित प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां की तरह ही छत्तीसगढ़ में पिछले पांच छह महीने से राजभवन में आरक्षण सम्बन्धी सर्वसम्मति से पारित बिल पड़ा है।

उन्होने कहा कि आरक्षण राज्य का विषय हैं,इस पर हस्ताक्षर नही होने से हजारों बच्चो को शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में आरक्षण का लाभ नही मिल पा रहा है,और सभी भर्तियां रूकी हुई है। उन्होने कहा कि किसी राज्यपाल को क्या यह अधिकार हैं कि हजारों बच्चों का भविष्य वह अंधकार में डाल दे। उन्होने कहा कि यह तो तय होना चाहिए कि राजभवन कितने दिनों तक किसी बिल को रोक सकता है।श्री बघेल ने कहा कि राजभवन को उन्होने फिर आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर करने के लिए लिखा हैं,अन्यथा सरकार इस मामले में अदालत का रूख करेंगी।

श्री बघेल ने कहा कि बाबा साहेब ने जिस संविधान से देशवासियों को ताकत दी उसे कमजोर करने की मोदी सरकार लगातार कोशिश कर रही है। सभी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। यहां तक कि न्यायपालिका को भी प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।आरक्षण को लागू नही होने दिया जा रहा है। लोकसभा में चर्चा नही हो रही है और सवाल पूछने वाले की सदस्यता समाप्त कर बंगले खाली करवा लिए जा रहे है।

उन्होने भाजपा के राज्य में अल्पसंख्यकों की आबादी में इजाफे के सर्वे करवाने सम्बन्धी बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पहले तो हिंसा करवाई गई,फिर यह नया शिगूफा हैं। उन्होने कहा कि वोट के खातिर यह किसी भी स्तर तक जा सकते है। यह जितनी नफरत फैलायेंगे,उससे अधिक हम प्रेम फैलायेंगे। उन्होने कहा कि नफरत के सिवा भाजपा के लोगो को कुछ नही आता है। जनता के लिए इनके पास कोई कार्यक्रम नही है।

 

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