छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को एक सनसनीखेज दावा कर के हलचल मचा दी। उन्होंने दावा किया कि कथित शराब घोटाले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी। सीएम बघेल ने दावा किया कि ईडी ने 2020 में आईटी (आयकर) विभाग की जांच के संबंध में छापे मारे हैं। मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि ईडी ने कथित शराब घोटाले में कोई ईसीआईआर (प्रवर्तन मामलों की सूचना रिपोर्ट) दर्ज नहीं किया था। मुख्यमंत्री बघेल ने यह भी कहा कि जब तक ईसीआईआर पंजीकृत नहीं किया जाता तब तक ईडी कार्रवाई नहीं कर सकती है।
सीएम बघेल ने कहा- शराब मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं है। आईटी विभाग ने 2020 में ‘डिस्टिलर्स’ और अधिकारियों के यहां छापेमारी की थी। उन छापों में ‘डिस्टिलर्स’ ने शपथ पत्र दिया था कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। उन शपथ पत्र में सभी विवरण हैं। ईडी उन्हीं डिस्टिलर्स से पूछताछ कर रही है और अब गलत काम करने का दावा कर रही है। सीएम ने कहा- या तो शपथपत्र सही हैं तो यह (ईडी के छापे) गलत हैं या यदि यह सही है तो वे शपथपत्र गलत हैं। आखिर आईटी भी एक केंद्रीय एजेंसी है। 2020 में इसकी जांच के दौरान शपथ पत्र तैयार किया गया था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि त्रिलोक ढिल्लों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उसके पास क्या था? मीडिया के माध्यम से पता चला कि उसके पास 25 करोड़ रुपये की एफडी (मियादी जमा) थी। उसने एक असुरक्षित कर्ज लिया था। यह सब कागज पर है। ईडी उसे गिरफ्तार कर रही है। उसी समय एक अन्य शराब बनाने वाले के परिसर में की गई छापेमारी में 26 करोड़ रुपये के गहने जब्त किए गए और वह गवाह बन गया। लाभ की स्थिति में यदि कोई है तो वह डिस्टिलर है क्योंकि वहां बोतलें, होलोग्राम बदले जाते हैं। बिना टैक्स वाली बोतलें कारखानों से निकलती हैं, तो सबसे पहले मुनाफाखोर कौन होगा, जाहिर तौर पर डिस्टिलर्स लेकिन अब वे गवाह हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि ईडी दुर्भावनापूर्ण तरीके से जांच कर रही है, अन्यथा शराब बनाने वाले सलाखों के पीछे सबसे पहले पहुंचते। इस बीच ईडी के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने कहा कि शराब घोटाले में अनिल टुटेजा (आईएएस) और कारोबारी अनवर ढेबर के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में पहले से ही एक मामला लंबित है। इस मामले में ईसीआईआर दर्ज कर ली गई है। ईडी ने दो हजार करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाले के मामले में रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया था।
सनद रहे ईडी ने अदालत में कहा था कि एक सिंडिकेट द्वारा छत्तीसगढ़ में शराब के व्यापार में एक बड़ा घोटाला हुआ है। इसमें राज्य सरकार के उच्च-स्तरीय अधिकारी और राजनीति से जुड़े लोग शामिल थे। इन लोगों ने 2019-22 के बीच दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार किया। ईडी का कहना था कि टुटेजा, अनवर के साथ सिंडिकेट का ‘सरगना’ था और भ्रष्टाचार के पैसे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए भी किया गया। ईडी ने आयकर विभाग की ओर से आईएएस अधिकारी टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दाखिल आरोप-पत्र के आधार पर धनशोधन का केस दर्ज किया था।
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