प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल से कहा अगर आप गठबंधन में नहीं बने रहना चाहते तो इसका फैसला सदन के बाहर कीजिए। सदन के अंदर आप पार्टी अनुशासन मानने के लिए बाध्य हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एकनाथ शिंदे गुट से सवाल किया है कि क्या महाविकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में बने रहने की शिवसेना की इच्छा के विरुद्ध जाने का उसका कदम अयोग्यता के लिए अनुशासनहीनता माना जाएगा। अपने रुख का बचाव करते हुए शिंदे गुट ने कहा कि विधायक दल मूल राजनीतिक दल का अभिन्न हिस्सा होता है। इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने शिंदे गुट से यह दिखाने के लिए कहा कि उनके पास राजनीतिक बहुमत है न कि विधायी बहुमत।
इसका फैसला सदन के बाहर कीजिए- पीठ
शिंदे गुट ने बताया कि पार्टी ने पिछले वर्ष जून में दो सचेतक नियुक्त किए थे और उन्होंने एक सचेतक के रुख का पालन किया जो गठबंधन में नहीं बने रहना चाहते थे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल से कहा, ‘अगर आप गठबंधन में नहीं बने रहना चाहते तो इसका फैसला सदन के बाहर कीजिए। सदन के अंदर आप पार्टी अनुशासन मानने के लिए बाध्य हैं।
पीठ ने कहा आपका राज्यपाल को यह पत्र लिखना कि आप एमवीए गठबंधन में नहीं बने रहना चाहते, अपने आप में अयोग्यता है। राज्यपाल का पत्र पर संज्ञान लेना ही वास्तव में पार्टी में विभाजन को मान्यता देना है।
शिंदे गुट ने कहा कि राज्यपाल एसआर बोम्मई मामले में नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ के 1994 के फैसले से बंधे हैं, जिस पर 2020 के शिवराज सिंह चौहान मामले में भरोसा किया गया था, कि अंतत: बहुमत का परीक्षण सदन के पटल पर होना है। इसीलिए राज्यपाल ने बहुमत परीक्षण का आदेश दिया। वह और क्या कर सकते थे।
पीठ ने शिंदे गुट से और भी कई सवाल किए कि बहुमत परीक्षण के लिए कहने से पहले राज्यपाल के पास क्या प्रासंगिक सामग्री थी? अगर सरकार चल रही तो क्या राज्यपाल बहुमत परीक्षण के लिए कह सकते हैं? ऐसे क्या कारण थे कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए कहा? राज्यपाल ने आपसे अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए क्यों नहीं कहा? राज्यपाल ने प्रतिद्वंद्वी गुट को मान्यता देकर क्या दल-बदल को वैध नहीं ठहरा दिया जो 10वीं अनुसूची में स्वीकार्य नहीं है।
कौल ने राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र को पढ़कर सुनाया और कहा कि राज्यपाल ने तीन घटनाक्रमों पर संज्ञान लिया था। पहला, सात निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि वे सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं। दूसरा, शिवसेना के 34 विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि एमवीए में बने रहने को लेकर पार्टी काडर में व्यापक असंतोष है। तीसरा, नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मिलकर उन्हें सूचित किया था कि सरकार सदन में बहुमत खो चुकी है। मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
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