रायपुर । भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने का वादा किया है। इसके अलावा सभी कर्मचारियों को क्रमोन्नति देने की बात कही है। जिसकी वजह से भाजपा का घोषणा पत्र इस बार विशेष कर प्रदेश के सहायक शिक्षको के बीच चर्चा में आ गया है।
शुक्रवार को राजधानी रायपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी का घोषणा पत्र जारी करते हुए सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति को दूर करने का वादा शामिल करके सहायक शिक्षको और उनके परिजनों को विधानसभा चुनाव के लिए एक मुद्दा दे दिया है।
मालूम हो कि भाजपा नेता केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजदूगी में ही प्रदेश के शिक्षा कर्मियों के शासकीयकरण / संविलियन की घोषणा 2018 के विधानसभा चुनाव के पूर्व अंबिकापुर की एक जन सभा में की गई थी।इसे दोष पूर्ण संविलियन कहते हुए एक महीने बाद ही प्रदेश के सहायक शिक्षकों के बीच वेतन विसंगति की मांग शुरू हो गई थी।
वेतन विसंगति की मांग को लेकर सहायक शिक्षको के लगभग पूरे कैडर ने रमन सरकार को 2018 के विधान सभा चुनाव की अचार संहिता लगते तक आंदोलन के जरिए परेशान किया था। आंदोलन के रूप और जन समर्थन को देखते हुए कांग्रेस नेताओ ने अपना समर्थन दिया और कांग्रेस पार्टी ने 2018 के अपने जन घोषणा पत्र में इनकी मांग को अपने जन घोषणा पत्र में शामिल किया। जो इस कार्यकाल में पूरा नहीं हो पाया।
छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन बीते पांच साल से एक के बाद एक कई असरदार आंदोलन करके सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति की मांग को हर बार सुर्खियों और चर्चाओं में लाता रहा। प्रदेश की विधानसभा में भी यह मुद्दा सुर्खियों में रहा था।
फेडरेशन ने प्रदेश के सांसदों / विधायकों को अपना ज्ञापन कई बार सौंपा था। यहां तक कि मुख्यमंत्री की जन यात्रा के दौरान भी अधिकांश जगहों पर शिक्षक नेताओं ने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन भी दिया। फेडरेशन शिक्षक नेता मनीष मिश्रा सहित अन्य शिक्षक नेताओं ने वेतन विसंगति की मांग को लेकर पूरे प्रदेश का दौरा किया और आंदोलन भी किया।
कोरोना काल के बाद दिसंबर के आंदोलन के करीब सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति दूर करने का फार्मूला सामने आया था। जिसमें शिक्षक और प्राथमिक स्कूल के हेड मास्टर के पद पर संविलियन के बाद तीन साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों के लिए वन टाइम रिलैक्सेशन के तहत पदोन्नति की योजना भी लाई गई थी। जिससे कई विवाद हुए। मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंचा जो पदोन्नति संशोधन मामले के रूप आज भी जारी है।
सहायक शिक्षकों के अगस्त के आंदोलन के बाद शिक्षक नेताओं की अधिकारियो के साथ संवाद / मुलाकात के बाद वेतन विसंगति दूर करने की कई बार चर्चा हुई।आचार संहिता लगते तक स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति दूर करने के लिए एक फ़ार्मूला लाया । जिसमें कहा गया कि जितने भी रिक्त पद उच्च पदों पर खाली होंगे, उसे पदोन्नति के माध्यम से भरा जा सकता है ।
जिसमे राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होने और राजपत्र के विपरीत होने की वजह से आम सहायक शिक्षको को यह अधिकारियों की ओर से थमाया गया झुनझुना अधिक लगा। जिसका आम शिक्षको ने खुल कर विरोध किया था।
यह जानना भी जरूरी है कि शिक्षको को जो भी मिला वह वह उनके आंदोलन, उनकी संख्या बल और योग्यता के दम पर मिला है। प्रदेश के शिक्षक यूनियनों के पास एक से बढ़ कर एक विधि और नीति नियमो के जानकर प्रमाणित दस्तावजो के साथ मौजूद है।साल 2018 में संविलियन कमेटी के सामने प्रदेश के सभी शिक्षक संघों ने ही अधिकारियों को दस्तावजों के साथ बताया था कि संविलियन कैसे संभव है।
यही कारण है कि सहायक शिक्षको को अचार संहिता लगने के पूर्व पदोन्नति के माध्यम से वेतन विसंगति दूर करने फार्मूला रास नहीं आया। आम शिक्षक भी लंबे समय से आंदोलन करने की वजह से नियम कायदे समझ रहे है। जो आम शिक्षको तक सोशल मीडिया के माध्यम से सुलभ हो चुके है।
मौके की नजाकत को समझते हुए शिक्षको की समस्याओं पर रमन सरकार के कार्यकाल में हुई भूल को सुधारने के लिए अब भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने का वादा किया है। जो आम शिक्षको और उनके परिजनों को लुभाने में कितना कामयाब होता है। यह तो चुनाव के परिणाम तय करेंगे।
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