सुप्रीम कोर्ट: याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की मंजूरी के लिए विधेयक भेजे गए थे लेकिन राज्यपाल उन्हें मंजूरी नहीं दे रहे हैं। आरोप है कि तीन विधेयक बीते दो सालों से राज्यपाल के पास लंबित हैं।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है। केरल सरकार का आरोप है कि राज्यपाल कई विधेयकों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के पास आठ विधेयक लंबित हैं, जिन्हें राज्य विधानसभा ने पारित कर दिया है। याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की मंजूरी के लिए विधेयक भेजे गए थे लेकिन राज्यपाल उन्हें मंजूरी नहीं दे रहे हैं। आरोप है कि तीन विधेयक बीते दो सालों से राज्यपाल के पास लंबित हैं।
याचिका में लगाए गए ये आरोप
याचिका में केरल सरकार ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को निर्देश दे कि वह समय से विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी दें। याचिका के अनुसार, सभी विधेयकों को समय से मंजूर करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करने के लिए राज्यपाल बाधित हैं ताकि लोगों के हित में जनकल्याणकारी योजनाएं लागू हो सकें। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्यपाल अपने कर्तव्य का पालन करने में विफल रहे हैं। जो विधेयक राज्यपाल के पास लंबित हैं, उनमें राज्यपाल को सरकारी विश्वविद्यालयों के चांसलर पद से हटाने का विधेयक भी लंबित है।
क्या है संविधान का अनुच्छेद 200
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल के पास शक्ति है कि वह किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए अपने पास रोके रख सकते हैं। अगर यह वित्त विधेयक नहीं है तो राज्यपाल इन विधेयकों को फिर से विधानसभा के पास विचार के लिए भेज सकते हैं। अगर विधानसभा फिर से इन विधेयकों को पास कर देती है तो फिर राज्यपाल इस विधेयक को अपने पास नहीं रोक सकते। अप्रैल 2023 में अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को जल्द पास करने का निर्देश दिया था।
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