बीजेपी ने विधानसभा चुनावों के लिए बुधवार (11 सितंबर) को अपनी तीसरी और अंतिम सूची जारी की। बीजेपी ने वरिष्ठ नेता रामबिलास शर्मा का महेंद्रगढ़ से टिकट काट दिया है। बीजेपी ने इसी के साथ सभी 90 विधानसभा सीट के लिए उम्मीदवारों के नाम ऐलान कर दिया है।
बीजेपी ने महेंद्रगढ़ से कंवर सिंह यादव को मैदान में उतारा है। भाजपा ने सिरसा से रोहताश जांगड़ा को और फरीदाबाद एनआईटी सीट से सतीश फागना को पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है। बीजेपी ने इससे पहले दो सूचियों में 87 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया था।
वहीं कांग्रेस ने अंबाला कैंट से परिमाल परी, पानीपत रूरल से सचिन कुंडू, नरवाना से सतबीर डुबलैन, रानियां से सर्वमित्र कंबोज और तिगांव से रोहित नागरा को मैदान में उतारा है। इससे पहले कांग्रेस ने पहली, दूसरी और तीसरी सूची में कुल 81 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी।
कांग्रेस ने अपनी तीसरी लिस्ट में 40 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी। सबसे खास नाम रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला का थी, जिन्हें कैथल से टिकट दिया गया है। इसके अलावा पूर्व डिप्टी सीएम भजन लाल के बेटे चंद्रमोहन को पंचकूला से टिकट दिया गया है। वहीं, अंबाला सिटी से चौधरी निर्मल सिंटी, मुलाला से पूजा चौधरी, जगाधरी से अकरम खान, यमुनानगर से रमन त्यागी, पेहोवा से मनदीप सिंह, कैथल से आदित्य सुरजेवाला, करनाल से सुमिता, पानीपत से वरिंदर कुमार शाह के नाम का ऐलान किया गया है। वही जींद से महाबीर गुप्ता, फतेहाबाद से बलवान सिंह सिरसा, गोकुल सेतिया का नाम घोषित किया गया है।
कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर चुनाव के लिए भी उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी है। इसमें पांच नाम हैं। इनमें बारामूला से मीर इकबाल, बांदीपोरा से निजामुद्दीन भट, सुचेतगगढ़ से भूषन डोगरा, अखनूर से अशोक भगत और चंब से तारा चंद को टिकट दिया गया है। जम्मू कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव होना है। रिजल्ट 8 अक्टूबर को आएगा।
हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान और 8 को मतगणना
बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव 5 अक्टूबर को होगा। वहीं, मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। वहीं मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। इससे पहले यह तारीख 1 और 4 अक्टूबर थी लेकिन चुनाव आयोग ने इसमें बदलाव किया है। आयोग ने इसके पीछे की वजह बताते हुए सफाई दी कि बिश्नोई समुदाय के मताधिकार और परंपराओं दोनों का सम्मान करने के लिए यह फैसला लिया गया है। बिश्नोई समाज ने आसोज अमावस्या उत्सव में भाग लेने की सदियों पुरानी प्रथा को कायम रखा है। ये उस दिन अपने गुरु जम्बेश्वर की स्मृति में उत्सव मनाते हैं।
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