रायपुर। हसदेव अरण्य के इलाके में आज तड़के भारी बल की मौजूदगी में परसा-ईस्ट एक्सटेंशन के लिए कटाई शुरू कर दी गई है। इस दौरान कोई बाधा उत्पन्न न हो इसके लिए यहां आंदोलन कर रहे अनेक प्रमुख आदिवासी जन प्रतिनिधियों को हिरासत में ले लिया गया है।
छत्तीसगढ़ में स्थित समृद्ध जैव विविधता से परिपूर्ण सघन वन क्षेत्र “हसदेव अरण्य” में आबंटित कोल ब्लॉक और कथित फर्जी ग्राम सभा के आधार पर कोयला खनन परियोजनाओं को जारी वन भूमि डायवर्सन की स्वीकृति निरस्त किये जाने की मांग के साथ 2 मार्च 2022 से हसदेव अरण्य के ग्रामीण हरिहरपुर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है, लेकिन लगातार आन्दोलन कर रहे आदिवासियों की मांगो और उनके संविधानिक अधिकारों की पूर्ण उपेक्षा करके भारी संख्या में सरगुजा में कल रात से पुलिस बल तैनात कर परसा ईस्ट केते बासन के दूसरे चरण में खनन कार्यों के लिए जंगल को पुलिस बल ने घेर लिया और किसी भी व्यक्ति को वहां पहुँचने नहीं दिया जा रहा है|
कटाई से पहले जिन लोगों को पुलिस ले गई है, उनमें पतुरियाडांड के सरपंच उमेश्वर सिंह अर्मो, घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन सिंह पोर्ते, बासेन के सरपंच श्रीपाल सिंह और उनकी पत्नी, पुटा के जगरनाथ बड़ा, राम सिंह मरकाम, साल्ही के ठाकुर राम कुसरो, आनंद कुमार कुसरो, बासेन के श्याम लाल और उनकी पत्नी और शिव प्रसाद की पत्नी शामिल हैं। यहां पूरा बल प्रयोग कर के घाटबर्रा की ग्राम सभाओं के विरोध के बावजूद बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जा रही है|
चार दिन पहले ही स्थानीय विधायक एवं स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव का बयान आया, जिसमे उन्होंने हसदेव में नई कोयला खदान परियोजना परसा, केते एक्सटेंशन और पिन्दरखी कोल ब्लॉक को न खोले जाने के राज्य सरकार के निर्णय की बात कही थी| हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने इस घोषणा के लिए आभार सहित यह मांग रखी कि सभी नए कोल ब्लॉक के निरस्तीकरण के शासकीय आदेश जारी हो जाने पर धरने को समाप्त कर दिया जायेगा, मगर अब तो यहां बड़े पैमाने पर कटाई शुरू कर दी गई है।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (CBA ) का कहना है कि घाटबर्रा को मिले सामुदायिक अधिकार परसा ईस्ट केते बासन खदान के वन भूमि डायवर्सन की स्वीकृति उपरांत 2013 में जिला स्तरीय समिति द्वारा निरस्त किया गया था। इस संबंध में हाई कोर्ट में मामला अब भी लंबित है। दुखद यह है कि जिन कम्पार्टमेंट में सामुदायिक अधिकार मिले थे, उन्हीं में पेड़ो की कटाई की जा रही है, जो पूर्णतः गैरकानूनी है, क्यूंकि मामला अब भी कोर्ट में विचाराधीन है| अपने ही नागरिकों के साथ ऐसे सलूक की CBA ने भर्त्सना की है।
सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार का कहना है कि कटाई वन विभाग करा रहा है। फिलहाल 45 हेक्टेयर का जंगल काटा जा रहा है। सरकारी काम में कोई विघ्न न डाले इसके लिए वहां पुलिस फोर्स लगाई गई है। हम ग्रामीणों को भी सहयोग करने को कह रहे हैं। ग्रामीणों की गिरफ्तारी के सवाल पर कलेक्टर ने कहा कि जब भी वहां सरकारी काम होता है, तो लोग तीर-धनुष लेकर आ जाते हैं। कुछ लोग नशे की हालत में आ जाते हैं और जबरन विरोध करते हैं। उनको दूर रखने के लिए कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार करने की बात स्वीकारी है। पुलिस का कहना है कि इन लोगों को पुराने मामले में गिरफ्तार किया गया है।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान 2012 में आवंटित हुई थी। इसमें 2013 से खनन जारी है। 2019 में इसके दूसरे फेज का प्रस्ताव आया था। इसमें परियोजना के लिए 348 हेक्टेयर राजस्व भूमि, 1138 हेक्टेयर वन भूमि के अधिग्रहण सहित करीब 4 हजार की आबादी वाले पूरे घाटबर्रा गांव को विस्थापित करने का प्रस्ताव है। इन इलाकों में इन खदान को बनाने जंगल भी काटे जा रहे हैं। जिसका ग्रामीण विरोध भी कर रहे हैं।
घाटबर्रा गांव के उजड़ने के सवाल पर कलेक्टर कुंदन कुमार का कहना है कि गांव को तो छू भी नहीं रहे हैं। अभी 45 हेक्टेयर का जंगल काट रहे हैं। उसके बाद 1100 हेक्टेयर का एक और जंगल काटा जाएगा। गांव का नंबर तो तीन साल बाद आना है। तब देखा जाएगा कि वे मुआवजा लेकर विस्थापित होने को तैयार हैं या नहीं।
बहरहाल कटाई के बीच ग्रामीणों का धरना प्रदर्शन अब भी जारी है और बड़ी संख्या में ग्रामीण धरनास्थल पर डटे हुए हैं। कटाई और प्रदर्शन के कुछ वीडियो भी जारी हुए हैं, जिसमे मशीनों के जरिये मजदूरों द्वारा पेड़ों की कटाई की जा रही है, वही ग्रामीण भी विरोध में जुटे हुए हैं। इस कटाई को लेकर भाजपा के प्रवक्ता नलिनेश ठोकने ने बयान जारी कर राज्य सरकार की आलोचना की है।
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