साहवा थानाधिकारी अल्का बिश्नोई ने बताया कि गांव देवगढ़ निवासी अंजू शर्मा (24) पिछले काफी समय से खुद को दिल्ली पुलिस की एसआई बताकर वीआईपी सुविधा लेती थी।
पुलिस ने अंजू शर्मा के बारे में गोपनीयता से जानकारी इकट्ठा की। मंगलवार को अंजू शर्मा को डिटेन कर उससे पूछताछ की, जिसमें सामने आया कि वह पिछले तीन साल से दिल्ली में रहकर अपने रिश्तेदारों, परिजनों, पड़ोसियों को थानेदार बताकर लोगों को नौकरी लगाने का झांसा देकर करोड़ों रुपए ऐंठने की बात बताई।
पुलिस ने मंगलवार को ही बनड़ा निवासी अर्जुनलाल नाई की रिपोर्ट पर अंजू शर्मा के खिलाफ दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल लगाने के नाम पर 12 लाख 93 हजार रुपए ठगने का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने इसी मामले में फर्जी महिला थानेदार को गिरफ्तार किया है।
न घरवालों को छोड़ा, न पास-पड़ोसी को बख्शा
अंजू ने बताया कि थानेदार की वर्दी में वह किसी भी गाड़ी को रोक लेती थी। कभी उगाही करती तो कभी कुछ दिन के लिए गाड़ी अपने पास रख लेती। इसी दौरान और अधिक पैसा कमाने की लालसा में उसने दिल्ली पुलिस में नौकरी के नाम पर ठगी करना शुरू कर दिया। इसमें सबसे पहला शिकार उसका मामा का बेटा ही बना। जिससे उसने दस लाख रुपए ठग लिए। एक बार शुरू हुआ यह खेल चलता रहा और उसने दर्जनों लोगों से अब तक करोड़ों रुपए की ठगी कर ली।
पूछताछ में अंजू ने बताया कि वह शिकार को पुलिस की वर्दी और बड़े अधिकारियों से अच्छे संपर्क की बात करके फंसाती थी। उन्हें दिल्ली पुलिस में सिपाही, ड्राईवर, रसोईया आदि पदों पर भर्ती के नाम पर पैसे लेती। वह अपने शिकार से उसकी हैसियत के अनुसार 10 से 30 लाख रुपए तक वसूल करती थी। कोई भी पीड़ित वर्दी के चलते उससे उलझने की कोशिश नहीं करता था।
काफी दिनों से अंजू शर्मा दिल्ली पुलिस की महिला उप निरीक्षक बनकर वीआईपी सुविधा ले रही है। यह कार्रवाई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक किशोरी लाल व सीओ रोहित सांखला के सुपरविजन में एसएचओ साहवा अल्का विश्नोई द्वारा की गई। युवती ने लोगों को नौकरी लगाने का झांसा देकर लाखों रुपए ऐंठने की बात स्वीकार की है।
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