नेशनल डेस्क। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। नवरात्र के नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री का आह्वान, ध्यान और उपासना की जाती है। सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।
नवमी के दिन कन्या पूजन को किया जाता है। मान्यता है कि कन्या पूजन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वैष्णव विधि से नवरात्र करने वाले श्रद्धालुओं के लिए नवमी के दिन दोपहर 1.32 बजे तक हवन का शुभ योग बन रहा है। हालांकि, कन्या पूजन सुबह से लेकर देर शाम तक पूरे दिन होगा। मान्यता है कि इस दिन कन्या के रूप में माता का आगमन होता है। पंडित माधवानंद (माधव जी) कहते हैं कि नवरात्र पूजा करने वाले कई श्रद्धालु ऐसे भी है जो प्रतिदिन कन्या का पूजन करते हैं। कन्या पूजन के लिए एक कन्या, तीन कन्या या 9 कन्या का पूजन हो सकता है।
सबसे पहले कन्याओं व भैरव भैया को पवित्र स्थान पर बैठाकर सबके पांव को स्वच्छ जल से धोया जाता है। उसके बाद सभी कन्याओं व भैरव भैया को तिलक लगाकर उनकी आरती की जाती है। उनको भोग लगाया जाता है। भोजन के बाद श्रद्धालु क्षमतानुसार दक्षिणा देते हैं।