नई दिल्ली। प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के लिए अच्छी खबर आई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे शिक्षकों को छह सप्ताह के भीतर 3 अप्रैल 1997 से पहले की सेवा के लिए ब्याज सहित ग्रेच्युटी का भुगतान करें। इस मामले में मंगलवार, 30 अगस्त को आए फैसले में अदालत ने कर्मचारी के दायरे में शिक्षकों सहित ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 में संसद के संशोधन की वैधता को सही ठहराया और निजी स्कूलों के लिए पात्र लोगों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना अनिवार्य कर दिया है।
अहमदाबाद निजी प्राथमिक शिक्षक संघ से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कानून संबंधी दोष का हवाला देते हुए यह आदेश दिया। पीठ ने निजी स्कूलों को छह सप्ताह में अधिनियम के तहत कर्मचारियों/ शिक्षकों को ब्याज सहित ग्रेच्युटी का भुगतान करने का आदेश जारी किया है। बता दें कि इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है।
निजी स्कूलों और उनसे जुड़ी संस्थाओं से संशोधन की चुनौती को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि कर्मचारी के लिए ग्रेच्युटी उसके द्वारा दी जा रही सेवाओं की न्यूनतम शर्तों में से एक है। बता दें कि इससे पहले कुछ निजी स्कूलों का दावा था कि पीएजी अधिनियम की धारा 2 (ई) में के तहत शैक्षणिक संस्थानों या स्कूलों में जो शिक्षक कार्य कर रहे हैं वो कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते हैं। अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया है।