रायपुर। आरएसएस के 36 आनुषांगिक संगठनों के दिग्गज आज से तीन दिन तक संगठन विस्तार पर चिंतन मंथन करेंगे। आरएसएस के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत, सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, पांच सह सर कार्यवाह के अलावा सभी आनुषांगिक संगठनों के अखिल भारतीय पदाधिकारी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। इसमें पॉलिटिकल फ्रंट बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी शामिल हैं।
आरएसएस की स्थापना को 2025 में 100 साल पूरे होंगे। इससे पहले तक आरएसएस का लक्ष्य हर पांच-छह गांव में एक शाखा खोलना है। हर शाखा के साथ आरएसएस से जुड़े आनुषांगिक संगठनों की गतिविधियां भी शुरू हो जाएंगी। यानी समाज के हर वर्ग तक आरएसएस की विचारधारा पहुंचेगी। पिछले कार्यों की समीक्षा करने और आगामी कार्ययोजना बनाने के उद्देश्य से ही हर साल अखिल भारतीय स्तर पर समन्वय बैठक का आयोजन होता है। आरएसएस के नेताओं का मानना है कि बैठक जहां होती है, वहां इतनी बड़ी संख्या में विश्व में सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के पदाधिकारियों के जुटने से वातावरण का निर्माण होता है, लेकिन इसका उद्देश्य किसी स्थान या राज्य विशेष की चुनावी रणनीति बनाना नहीं है।
देश में 56 हजार से ज्यादा शाखाएं
आरएसएस की राजस्थान में हुई प्रांत प्रचारकों की बैठक में यह बात आई थी कि देश में शाखाओं की संख्या 56824 है। यह बैठक जुलाई महीने में हुई थी। इस बीच में कुछ शाखाओं की संख्या बढ़ी भी होगी। इसी बैठक में यह बात भी सामने आई थी कि दो साल बाद हुए संघ शिक्षा वर्गों में 40 साल से कम आयु के 18981 शिक्षार्थियों ने हिस्सा लिया। 40 साल से ज्यादा के शिक्षार्थियों की संख्या 2925 रही। आरएसएस के प्रति युवाओं में काफी रुझान देखने को मिला। शाखाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि की कोशिश की जा रही है, जिससे इनके जरिए जल प्रबंधन, कचरा प्रबंधन, पर्यावरण और स्वच्छता के साथ-साथ कुरीतियों को दूर करने के लिए काम किए जाएं और समाज को जोड़ा जाए। कोरोना के दौरान शाखाओं के स्वयंसेवकों के जरिए ही आरएसएस ने लोगों तक भोजन, दवाई आदि की व्यवस्था की थी।
हर संगठन देंगे अपनी अपडेट रिपोर्ट
समन्वय बैठक में सभी संगठनों के प्रमुख वृत्त प्रस्तुत करेंगे यानी अपनी रिपोर्ट देंगे। इसमें वे बताएंगे कि पिछली बैठक में क्या कार्यक्रम तय किए गए थे और उनमें क्या उपलब्धि है। ऐसे संगठन जिन्होंने मिलकर कार्ययोजना बनाई थी, जैसे किसान संघ, मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच ने स्वरोजगार के संबंध में कार्ययोजना बनाई थी, तो वे संयुक्त रूप से किस स्थिति में पहुंचे और उनके बीच कैसा समन्वय रहा, ये सारी बातें समन्वय बैठक में आएगी। आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय की जिम्मेदारी सह सर कार्यवाह अरूण कुमार देखते हैं। वे भाजपा के संबंध में बातों को रखेंगे। समन्वय बैठक के दौरान ही प्रचारकों की संगठन मंत्री के रूप में नियुक्ति या जिम्मेदारियां बदलने जैसी बातें भी तय की जाती हैं।
छत्तीसगढ़ पर बात नहीं, लेकिन ये बातें संभव
आरएसएस से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि समन्वय बैठक अखिल भारतीय स्तर की है, इसलिए छत्तीसगढ़ या किसी राज्य विशेष में चुनाव को लेकर कोई बातचीत नहीं होगी। हालांकि भाजपा अध्यक्ष नड्डा जब अपनी बात रखेंगे तो उसमें जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां का उल्लेख आएगा। इसके अलावा वंशवाद-परिवारवाद के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है, उसका भी उल्लेख होगा। केंद्र सरकार की जो योजनाएं चल रही हैं, उन योजनाओं के संबंध में बताएंगे। वैश्विक चिंताओं और उसे दूर करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख होगा।