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राजनांदगांव : जिले में पोषण देखरेख (फास्टर केयर) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

राजनांदगांव । पोषण देखरेख के माध्यम से देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालक को परिवारिक वातारण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पोषण देखरेख विषय पर कार्यशाला का आयोजन आज जिला पंचायत सभा कक्ष में आयोजित किया गया। कार्यशाला का आयोजन यूनिसेफ  के सहयोगी संस्था सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन अल्टरनेटिव संस्था के माध्यम से जिला बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभांरभ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री गजेन्द्र सिंह ठाकुर द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी के तैल्यचित्र में माल्यर्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया गया। जिला पंचायत सीईओ श्री गजेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि यह कार्यक्रम मिशन वात्सल्य के तहत आयोजित किया जा रहा। जिसमें सभी स्टेक होल्डर बच्चों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करेंगें। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री राजकुमार जाम्बुलकर ने कार्यशाला के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पोषण देखरेख कार्यक्रम परिवार आधारित देखभाल को बढ़ावा देना है। जिसमें अधिक से अधिक पोषण परिवारों को चिन्हांकित कर ऐसे बालकों को पारिवारिक देखभाल की व्यवस्था उपलब्ध कराया जाना है।

कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को प्रशिक्षकों द्वारा पोषण देखरेख कार्यक्रम की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में बताया गया कि देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों को पारिवारिक वातावरण प्रदाय करने के ध्येय से वैकल्पिक व अस्थाई व्यवस्था है। जहां इन बालकों को फास्टर परिवार द्वारा अपने बच्चों जैसे देखरेख एवं स्नेह प्राप्त होता है। पोषण देखरेख के प्रकार एक पारिवारिक पोषण देखरेख एवं दूसरा सामूहिक पोषण देखरेख है। कार्यशाला में बताया गया कि पोषण देखरेख हेतु बालकों की पात्रता के अन्तर्गत ऐसे बालक जिनकी आयु 6 से 8 वर्ष की है तथा वैधानिक रूप से मुक्त घोषित होने के 2 वर्ष उपरांत भी दत्तक ग्रहण में नहीं जा सके हैं। दूसरा बालक जिनकी आयु 8 से 18 वर्ष की है तथा वैधानिक रूप से मुक्त घोषित होने के 1 वर्ष उपरांत भी दत्तक ग्रहण में नहीं जा सके हैं। तीसरा विशेष आवश्यकता वाले बालक जिन्हें वैधानिक रूप से मुक्त घोषित होने के 1 वर्ष उपरांत भी दत्तक ग्रहण मे नहीं जा सके हैं। इसी प्रकार सामूहिक पोषण देखरेख 6 से 18 वर्ष के ऐसे बालक जो कि बाल देखरेख संस्था में रह रहें है तथा बालक कल्याण समिति में वैधानिक रूप से स्वतंत्र घोषित नहीं किया गया है। जिन बच्चों के अभिभावक लाइलाज बीमारी से ग्रसित हो एवं बालक के देखरेख एवं संरक्षण में सक्षम नहीं है एवं उनके द्वारा बालक कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण इकाई में आवेदन किया गया हो तथा ऐसे बालक जिनके माता-पिता दोनों जेल में निरूद्व हो तथा ऐसे बालक जो कि शारीरिक, भावनात्मक अथवा लैंगिक शोषण, प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा या कृषि संबंधित विपदा अथवा घरेलू हिंसा से पीडि़त हो। पोषण देखरेख कार्यक्रम अंतर्गत्त पारिवारिक पोषण देखरेख परिवार के चयन का मापदण्ड पोषण देखरेख कार्यक्रम निर्देशिका अनुसार किसी भी परिवार को भारतीय नागरिक होना चाहिए तथा पति-पत्नी दोनों इच्छुक होना आवश्यक है, उनकी 35 वर्ष से अधिक होना आवश्यक है। परिवार की आर्थिक, शारीरिक भावनात्मक व मानसिक स्थिति स्वस्थ होना चाहिए। बालक के लिए पर्याप्त स्थान तथा बालक की मूलभूत व्यवस्था की पूर्ति करने में सक्षम होना चाहिए। परिवार गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं होना चाहिए। किसी आपराधिक मामले में अभियोजित अथवा दण्डित नहीं होना चाहिए। रिश्तेदारों, परिवार, मित्रों तथा समुदाय से संबंध अच्छा होना चाहिए। कार्यशाला में किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य एवं बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य सहित महिला एवं बाल विकास विभाग से जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री आरके जाम्बूलकर, जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री चन्द्रकिशोर लाड़े, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन आल्टर नेटिव संस्था की मेनेजिंग डायरेक्टर डॉ. वसुंधरा ओमप्रकाश, श्रीमती सोना बर्मन राज्य समन्वयक, सुश्री हर्षिता साहू, बाल विकास परियोजना अधिकारी, बालगृह (बालिका) एवं विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसी, चाईल्ड लाईन तथा स्वयं संगठन के प्रतिनिधि उपस्थिति थे।

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