भारत ने दूरदराज के क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए डिजिटल तरीकों को सक्रियता से अपनाया है। यहां अपनाई गई मोबाइल क्लीनिक की व्यवस्था पूरी दुनिया को राह दिखा सकती है। आपात स्थितियों से जूझ रहे देशों में इससे बड़ी राहत मिल सकती है। यूनिसेफ-न्यूयार्क के सीनियर एडवाइजर हेल्थ डा. लक्ष्मी एन बालाजी ने यह बात कही। वह भारत की अध्यक्षता में जी20 देशों की दूसरी हेल्थ वर्किंग ग्रुप मीटिंग में हिस्सा लेने गोवा पहुंचे हैं।
सोमवार से शुरू हुई इस तीन दिवसीय बैठक में विभिन्न देशों के 180 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने बच्चों के नियमित टीकाकरण समेत विभिन्न स्वास्थ्य अभियानों में मोबाइल स्वास्थ्य पहल को अपनाया है। मोबाइल हेल्थ की प्रक्रिया में स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों के घर तक पहुंचाया जाता है। इनमें टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और कुछ आवश्यक दवाओं की आपूर्ति तक शामिल हैं।
बालाजी ने कहा कि महामारी के दौरान आनलाइन कंसल्टेशन, कोविड टीकाकरण और जांच आदि के लिए कई डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को अपनाया गया। महामारी की चुनौतियों के बीच दूरदराज के क्षेत्रों तक कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में डिजिटल स्वास्थ्य व्यवस्था ने अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि भारत ने कोविन पोर्टल के माध्यम से सुनिश्चित किया कि सभी नागरिकों को टीका लगे। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कारगर व्यवस्थाबालाजी ने कहा कि मोबाइल क्लीनिक की मदद से प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ऐसे स्थानों पर स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाया जा सकता है, जहां के लोग किसी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने में सक्षम नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर किसी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में नाव के जरिये आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं लोगों तक पहुंचाई जा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान जैसे अशांत क्षेत्रों में कोई मोडिफाइड स्कूटर या रिक्शा किसी गर्भवती महिला के लिए एंबुलेंस की भूमिका निभा सकता है। ऐसे कई छोटे-छोटे प्रयास अच्छे नतीजे दे सकते हैं।
बालाजी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं के बढ़ते प्रयोग के साथ ही डिजिटल दूरी को पाटने की वकालत भी की। उन्होंने कहा, ‘हमें ध्यान देना होगा कि समाज में डिजिटल डिवाइड भी है। बड़ा वर्ग है जिसके पास फोन और इंटरनेट नहीं है। महिलाओं के मामले में ऐसा ज्यादा है। इस पर ध्यान देना होगा। दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कुल कार्यबल में करीब 67 प्रतिशत महिलाएं हैं। डिजिटल को अपनाते समय इसे भी ध्यान में रखना होगा।’
बालाजी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटल को अपनाते हुए शिक्षा, जल एवं स्वच्छता जैसे अन्य सेक्टर को भी इसमें शामिल करना चाहिए। डिजिटल व्यवस्था में कोडिंग ओपन-सोर्स पर हो, जिससे विभिन्न देश अपने अनुरूप थोड़े बदलाव से ही इन्हें प्रयोग करने में सक्षम हो सकें।
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