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कोरोना काल में किया 50 करोड़ का घोटाला, अस्पताल का भंडार प्रभारी निलंबित, CMHO के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा
JILA ASPTAL KORIYA

कोरिया। जशपुर की तरह कोरिया जिले में भी कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग में अनाप-शनाप खरीदी की गई। इस मामले की शिकायत पर हुई जांच के बाद कलेक्टर ने जिला अस्पताल के भंडार प्रभारी राजेश सिन्हा को निलंबित कर दिया है, साथ ही तत्कालीन CMHOके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार से की है।

कल ही भेजे गए हैं अस्पताल अधीक्षक बनाकर

50 करोड़ के इस घोटाले के आरोपी तत्कालीन CMHO डॉ रामेश्वर शर्मा को एक दिन पहले ही जारी आदेश में बलरामपुर के जिला अस्पताल का सीएस (अस्पताल अधीक्षक) बनाकर भेजा गया है। जानकारी मिली है कि सरगुजा संभागायुक्त संजय अलंग ने भी मामले में नए सिरे से जांच के आदेश जारी किए हैं।

बिना डिमांड की गई बेतहाशा खरीदी

एक शिकायत के आधार पर कोरिया कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने मामले की जांच कराई। इस दौरान खुलासा हुआ कि कोरिया जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्व अधिकारी के कार्यालय मेें कोविड 19 के समय से बीते 3 वर्षो में अनाप शनाप दवाओं की बिना डिमांड ना सिर्फ खरीदी की गई, कागजों पर दवाईयां पहुंची और चेक कटते गए। दवाओं की कीमतों पर भी ध्यान नहीं दिया गया।

1200 पन्नों का जांच प्रतिवेदन

जिला अस्पताल कोरिया में कोरोना काल में फर्जी तरीके से की गई इस खरीदी का मामला साल भर से सुर्खियों में है। कलेक्टर के निर्देश पर टीम गठित कर जांच शुरू हुई, कुल 4 महिने में जांच कर 1200 पृष्ठ का प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा गया। कलेक्टर ने तत्कालिन सीएमएचओ और सहायक ग्रेड 3 को नोटिस जारी कर जांच में अनियमितताओं का 7 दिन में जवाब मांगा, जिस पर लिपिक ने तत्कालिन CMHO को जिम्मेदार बताया, उसका कहना है कि उन्ही के आदेश पर ये सब कुछ घोटाला हुआ, वहीं तत्कालिन CMHO ने लिपिक और नोडल अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया। दोनों के जवाब प्रस्तुत होने के बाद कलेक्टर ने लिपिक को निलंबित कर दिया और तत्कालिन सीएमएचओ के खिलाफ राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को कार्यवाही के लिए पत्र लिखा है।

अब भी अधूरी है जांच

कोरिया में स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले की जांच अभी भी अधूरी है। यहां वाहन शाखा की जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई है, इस शाखा में बेहिसाब डिजल खरीदी की गई, जिसका हिसाब किताब ही नहीं मिल पा रहा है, वहीं के मरम्मत के 28 लाख के बिल अब तक भुगतान के लिए लंबित है, सच तो ये है कि लाखों रूपए के मरम्मत के बाद भी वाहनों की हालत कंडम बनी हुई है। माना जा रहा है कि वहां मरम्मत के कार्य कागजों पर ही सम्पन्न हो गए।

इन सब के अलावा NHM में हुए घोटाले की जांच अभी तक तक नहीं हो सकी है। डिप्टी कलेक्टर के नेतृत्व में टीम का गठन कर दिया, टीम अभी तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्व विभाग का 3 बार दौरा भी कर चुकी है, मगर एनएचएम के अधिकारी बहानेबाजी करके जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसलिए यहां की जांच फ़िलहाल अधूरी पड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि निष्पक्षता से जांच हुई तो NHM में भी कोरोना काल में किया गया करोड़ों का घोटाला उजागर होगा।

बहरहाल कोरिया जिला अस्पताल के भंडार प्रभारी पर गाज गिर चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि करोड़ों के इस घोटाले में तत्कालीन CMHO डॉ रामेश्वर शर्मा के खिलाफ भी जल्द ही कार्रवाई होगी।

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