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महासमुंद : सिविल कोर्ट बागबाहरा का हुआ उद्घाटन

उच्च न्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ की माननीय न्यायाधीश एवं पोर्टफोलियो जज जिला महासमुंद रजनी दुबे ने आज बुधवार को अनुविभाग बागबाहरा जिला महासमुंद व्यवहार न्यायालय सिविल कोर्ट का उद्घाटन किया। इस नए कोर्ट में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के रूप में अविनाश टोप्पो नियुक्ति की गई है। व्यवहार न्यायालय मं  एक कोर्ट संचालित होगी। न्यायाधीश रजनी दुबे ने नव नियुक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश टोप्पो को बधाई और शुभकामनाएं दी। इस न्यायालय में सिविल व क्रिमिनल दोनों तरह की केसों की सुनवाई की जाएगी। 1500 मामले के अभिलेख इस नए कोर्ट में स्थानांतरित किए गए है। यहाँ के लोगों और वकीलों के लिये भी आज खुशी का दिन था।माननीय न्यायाधीश रजनी दुबे ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कहा कि लोगों का भरोसा न्यायालय पर है। इस भरोसे को क़ायम रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। न्याय प्रिय फैसलों से जानता में न्यायालय के प्रति और विश्वास बढ़ता है। लोकतांत्रिक देश भारत में न्यायपालिका संविधान का अंग है। यह नागरिकों की रक्षा और सुरक्षा करने के साथ उनके अधिकारों की भी रक्षा करता है। यहाँ पर नागरिक कानूनी मामलों में संवैधानिक व्यवस्था और लॉ के तहत न्याय पा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट हो या फिर जिला स्तर का न्यायालय ये देश में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कार्य करते हैं। उन्होंने पक्षकारों से भी कहा कि अगर फैसला उनके विपरीत भी आये तो घबराये नहीं। अपील के लिए ऊपरी अदालत के दरवाज़े खुले है। नाराजगी या आवेश में कोई अप्रिय कार्य न करें। उन्होंने कहा कि सिविल कोर्ट खुलने से इस इलाके के दूर-दराज के लोगों को न्याय के लिए अब दूर नही जाना पड़ेगा। न्यायाधीश दुबे ने कहा कि समय-समय पर पूरे देश में लोगों के प्रकरणों के निराकरण के लिए नेशनल लोक अदालत और लोक अदालत शिविर भी लगाए जाते है। इसके माध्यम से आपसी सुलह या बातचीत से विवादों को हल होता है। बल्कि मुकदमेबाजी का खर्च भी कम होता है। दो पक्षों में समझौता या सौहार्द्रपूर्ण तरीके से मामला निपटाया जाता है, इससे दोनों पक्षों के समय की भी बचत होती है। दुबे ने न्यायाधीश भगवती प्रसाद के हर द्वार पर न्याय के सपने का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कार्यक्रम और न्यायालय भवन उपलब्ध कराने के लिए ज़िला प्रशासन सहित सभी को बधाई दी। ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश बी.पी. पांडे ने माननीय न्यायाधीश रजनी दुबे का स्वागत कर उनके जीवन परिचय दिया।संसदीय सचिव व विधायक खल्लारी द्वारिकाधीश यादव ने भी संबोधन में कहा कि यहाँ के लोगों की मांग पूरी हुई। अब न्याय के लिए दूर नही जाना होगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट पर लोगों का पूरा विश्वास और सभी लोग फ़ैसलों का पूरा सम्मान भी करते है। आज इस क्षेत्र के लिये काफी अहम दिन है। यहां के लोगों की खुशी मैं महसूस कर पा रहा हूँ। उन्होंने कहा कि कोर्ट खुल जाने से जिले के सुदूर क्षेत्रों के लोगों को काफी सहूलियत होगी और न्याय जल्द मिलेगा। कोर्ट की शुरुआत हो गयी है। अधिवक्ताएं पदाधिकारी और यहां की जनता के ऊपर निर्भर करता है कि वे कैसे इसे आगे ले जाये। सबका सहयोग जरूरी है। बाग़बाहरा के पुराना कॉलेज भवन में ही सिविल कोर्ट का निर्माण किया गया है। सिविल कोर्ट में कोर्ट संचालन के लिए 6 कमरा है। इसके अलावा महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग बंदी गृह है। रिकॉर्ड  रूम से लेकर पूरे कोर्ट परिसर में मुकम्मल व्यवस्था है। जिला अंतर्गत बाग़बाहरा अनुभाग वासियों को लंबे समय से चल रही मांग के बाद सिविल कोर्ट का तोहफा मिला है। उद्घाटन होते ही सिविल कोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मौजूद लोगों ने ताली बजाकर इस ऐतिहासिक क्षण का स्वागत किया।    सिविल कोर्ट में आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम में कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर, पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महासमुंद सु चित्रलेखा सोनवानी, एसडीएम श्रवण कुमार टंडन, अध्यक्ष अधिवक्ता संघ महासमुंद अनिल शर्मा सहित अधिवक्तगण, अधिकारी-कर्मचारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। तक़रीबन 1500 मामले के अभिलेख इस नए कोर्ट में स्थानांतरित किए गए है। अब न्याय के लिए 40 किलोमीटर दूर महासमुंद नहीं जाना होगा। कार्यक्रम स्थल पर अतिथियों के पहुंचते ही स्थानीय कलाकारों ने पारम्परिक रूप से संगीत और नृत्य कर स्वागत किया गया।

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