देश के अधिकांश हिस्सों को वंदे भारत एक्सप्रेस की सौगात मिल चुकी है। 3 जून को गोवा-मुंबई ट्रेन की भी शुरुआत होने जा रही है। वहीं, जून में रांची-पटना के बीच भी वंदे भारत दौड़ने लगेगी। बड़ा सवाल है कि अब तक पूर्वोत्तर को सेमी हाईस्पीड ट्रेन का तोहफा क्यों नहीं मिला। हालांकि, कई और राज्य भी ऐसे हैं, जहां अब तक वंदे भारत की रफ्तार नहीं पहुंच सकी है।
सरकार का कहना है कि कम से कम 19 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में वंदे भारत एक्सप्रेस है। जबकि, चंडीगढ़, पंजाब, बिहार और हरियाणा के पास अपनी कोई वंदे भारत नहीं है। फिलहाल, वंदे भारत एक्सप्रेस आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल को कवर कर रही है।
जबकि, गोवा, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, पुडुचेरी और दादरा और नगर हवेली और दमन और दियु तक इस ट्रेन की पहुंच नहीं है। रेलवे कनेक्टिविटी की कमी के चलते सिक्किम, लद्दाख, अंडमान और निकोबार आइलैंड्स और लक्षद्वीप इस सूची में नहीं हैं।
पूर्वोत्तर में क्यों नहीं पहुंची वंदे भारत
असम को पहली वंदे भारत मिल चुकी है, लेकिन अन्य राज्य अब भी इंतजार कर रहे हैं। कहा जा रहा कि इलेक्ट्रिफिकेशन की कमी इसकी बड़ी वजह है। जानकार बताते हैं कि इलेक्ट्रिफाइड रूट्स पर ही वंदे भारत चल सकती है। जबकि, पूर्वोत्तर में अब तक कई रूट्स का इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा नहीं हो सका है।
इसके अलावा ब्रॉड गेज में परिवर्तन होना भी बेहद जरूरी है। खबर है कि केंद्र सरकार को इस बात की जानकारी है और काम चल रहा है। लद्दाख और सिक्किम में ब्रॉड गेज लाइन का निर्माण कार्य चल रहा है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि अगले साल सिक्किम पूरे देश के साथ जुड़ सकता है, क्योंकि सिवोक-रांगपो प्रोजेक्ट लगभग पूरा होने वाला है।
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