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आजादी की वर्षगांठ पर..रामानुजगंज में अंधेरा…लोग आदिमयुग की जिन्दगी को मजबूर…सरप्लस राज्य के बिजली अधिकारी मौन

रामानुजगंज (पृथ्वीलाला केशरी)—क्या किस्मत है…। सरप्लस बिजली वाले राज्य में रामानुजगंज के वासी आदिम युग का अनुभव लेने को मजबूर है। या फिर कहिए बिजली विभाग ने अनुभव कराने का फैसला किया है। नगर में आए दिन विद्युत व्यवस्था के बरख्श उपभोक्ताओं का अंधेरा साथ देने को मजबूर है। मजेदार है कि बिजली विभाग ने रामानुजगंज वासियों को आदिम युग का अनुभव का दिन भी आजादी की 76 वी वर्षगांठ को चुना है।

15 अगस्त के देर देर शाम रामानुजगंज के लोग आदिमयुग में जीने को मजबूर है। जब पूरे शहर की सरकारी इमारतें जगमगा रही है…आजादी का नारा लगाने वाले अंधेरे यानि आदिमयुग में जीने को मजबूर हैं। समाचार लिखे जाने तक बिजली विभाग ने आजागी के साथ 4 घंटे तक शहर को अंधेरे में झोंक चुका है। मजेदार बात है कि शिकायत के बाद भी अधिकारी बताने को तैयार नहीं है कि आखिर आजादी के ही दिन उपभोक्ताओ को आद्मयुग में धकेलने के जरूरत क्या पड़ गयी।

स्थानीय लोगों ने बताया कि कहने को छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन में सरप्लस राज्य है। बावजूद इसके शहर को आए दिन बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है। लेकिन आजादी की वर्षगांठ के दिन तो गजब ही हो गया। पिछले पांच घंटे से शहर की बिजली गायब है। मजेदार बात है कि अधिकारियों भी कुछ नहीं बता रहे हैं। यदि जवाब आ भी रहा है तो उसे सिर्फ  उल जुलूल ही कहेंगे। नतजीन उपभोक्ता पिछले पांच घंटों से आदिमयुग की जिन्दगी जीने को मजबूर हैं।

स्थानीय परेशान लोगों ने बताया कि दरअसल बिजली विभाग के अधिकारियों में आपस में जमकर खींचतान है। रिमिजियुस एक्का का कार्यपालन यंत्री संचालन संधारण शत्रुहन सोनी पर कोई नियंत्रण नहीं है। लोगों ने बताया कि आदेश का पालन ही नहीं किया जाता है। यदि नियंत्रण होता तो सरहद क्षेत्र रामानुजगंज का एरिया हमेशा अंधेरे के आगोश में शायद ही घंटों तक डूबा रहता। यह जानते हुए भी कि बरसात में लोगों का रोशनी के बगैर चलना दूभर होता है। बावजूद इसके लोग इस दूभर को जीने के लिए मजबूर हैं।

गर्मी में मेंटेनेंस के नाम पर खानापूर्ती

बलरामपुर रामानुजगंज जिले में लोगों को बारह महीने विद्युत आपूर्ति की समस्या जूझना पड़ता है। लगातार पेशी के बाद भी अधिकारी अपने कार्यालय से निकालने को तैयार नहीं होते हैं। जिनके कारण विद्युत उपभोक्ताओ के जीवन बिजली का आना और जाना नासूर साबित हो रहा है। भीषण गर्मी में पहले तो विभाग ने मेंटेनेंस के नाम पर 3 से 4 घंटे तक बिजली को बाधित किया। जनता इस उम्मीद बर्दास्त करती रही कि बरसात के दिनों में बेहतर विद्युत आपूर्ति होगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एक बात निश्चित है कि मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपयों का बिल फाड़ने वाले अधिकारियों को उपभोक्ताओं की परेशानी से कोई लेना देना नहीं है। बहरहाल जनता को पहले मेन्टनेंस के नाम पर आदिमयुग में जीने को मजबूर होना पड़ा। और अब शायद आपसी खींचतान को लेकर पत्थर युग का सौगात लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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