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Congress की नजर मुफ्त सुविधाओं के साथ Rajasthan में सत्ता वापसी पर

जयपुर। मुफ्त मोबाइल, मुफ्त राशन किट और 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली…राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही मुफ्त सुविधाओं की एक श्रृंखला की घोषणा की है। इसका लक्ष्य सत्ता परिवर्तन की दशकोें पुरानी पवृत्‍त‍ि को तोड़ अगले कार्यकाल के लिए सत्ता में वापसी है।आखिरकार, लाख टके का सवाल यह है कि क्या ये मुफ्त सुविधाएं कांग्रेस को राजस्थान में वापसी करने में मदद करेंगी?

जहां कांग्रेस इन मुफ्त योजनाओं और अपनी सामाजिक सुरक्षा घोषणाओं के माध्यम से वापसी करने को लेकर आश्वस्त दिख रही है, वहीं दूसरी ओर, भाजपा राजस्थान में पेट्रोल डीजल की ऊंची कीमतों, खराब कानून व्यवस्था और बिजली संकट को लेकर सत्तारूढ़ सरकार पर सवाल उठा रही है। 

एक वरिष्ठ Congress  कार्यकर्ता ने कहा, ‘सीएम को भरोसा है कि राजस्थान की जनता फिर से गहलोत सरकार को चुनेगी। हमने समाज के हर वर्ग का ख्याल रखा है। महिला सशक्तिकरण और डिजिटल डिवाइड को कम करने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी स्मार्टफोन योजना के तहत एक करोड़ महिलाओं को स्मार्टफोन देने की घोषणा की गई है। अब तक हम 40 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन दे चुके हैं। इसके बाद सभी एक करोड़ महिलाओं को गारंटी कार्ड दिया जाएगा, इससे वे आने वाले समय में सरकार से आसानी से स्मार्टफोन ले सकेंगी।

गहलोत ने 33 लाख लोगों को मुफ्त राशन किट देने का भी ऐलान किया है।मुख्यमंत्री के मुताबिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभ से वंचित परिवारों को मुफ्त राशन किट दी जाएगी। वहीं, उन लोगों को भी किट मुहैया करायी जायेगी, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ ले रहे हैं और जरूरतमंद हैं। सीएम पहले ही राजस्थान में गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों (बीपीएल) और उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर देने की घोषणा कर चुके हैं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 750 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

लेकिन, विपक्षी बीजेपी ने इन घोषणाओं को ‘चुनावी रेवड़ियां’ करार दिया है।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि कांग्रेस सरकार के झूठे दावों और वादों से प्रदेश की जनता त्रस्त है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुफ्त बिजली देने का वादा किया था, लेकिन बिजली उत्पादन के लिए ठोस कदम नहीं उठा पाने के कारण राज्य में बिजली संकट गहरा गया है, नतीजा यह है कि आज गांवों में 10 घंटे बिजली नहीं है, शहरों में हालात खराब हैं। बिजली कटौती से जनता, युवा, महिलाएं, किसान, मजदूर, उद्योगपति समेत सभी परेशान हैं। मुख्यमंत्री की अकर्मण्यता और भ्रष्ट नीतियों ने प्रदेश के विकास और जीवन स्तर को रसातल में पहुंचा दिया है। 

महिलाओं के लिए मुफ्त मोबाइल पर बोलते हुए राजस्थान राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा (भाजपा) ने कहा, “मुख्यमंत्री को मुफ्त मोबाइल के बजाय महिलाओं को सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए।”

वर्तमान में महिलाओं को मुफ्त मोबाइल की नहीं, बल्कि सुरक्षा की जरूरत है, उन्होंने बढ़ते सामूहिक बलात्कार के मामलों पर बोलते हुए कहा कि राज्य में बलात्कार के मामले दोगुने हो गए हैं।  उन्होंने कहा, ”गहलोत सरकार के दौरान महिला उत्पीड़न और बलात्कार के मामलों ने प्रदेश को शर्मसार किया है।”

चूंकि यह बहस रेगिस्तानी राज्य में जारी है, यह चर्चा निश्चित रूप से अन्य राज्यों तक जाती है, जहां मुफ़्त चुनावी वादों ने जीत और हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दक्षिण में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पांच गारंटी योजना ने बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया है।

कर्नाटक में कांग्रेस की पांच गारंटी में महिलाओं को 2000 रुपये मासिक भत्ता, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, घरों में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और मुफ्त अनाज देने का वादा किया गया। कांग्रेस ने कर्नाटक की 228 सीटों में से 135 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा 116 से 65 सीटों पर सिमट गई।

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की पुरानी पेंशन योजना और 5 लाख सरकारी नौकरियां बीजेपी के अन्य वादों पर भारी पड़ीं। इन दो घोषणाओं के अलावा कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रुपये पेंशन और हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का भी ऐलान किया है। 68 सदस्यीय हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतीं।

2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में भी मुफ्त के वादों ने अहम भूमिका निभाई। चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने साल में दो गैस सिलेंडर देने का वादा किया था। इसके साथ ही पार्टी ने कॉलेज जाने वाली लड़कियों को मुफ्त स्कूटी देने का भी वादा किया। बीजेपी के ये दोनों मुफ्त वादे समाजवादी पार्टी (सपा) की पुरानी पेंशन योजना पर भारी पड़ गए।

2020 में बिहार का चुनाव कोरोना के साये में हुआ। बीजेपी ने उस वक्त मुफ्त वैक्सीन देने का वादा किया था। पार्टी ने कहा कि अगर सरकार दोहराती है, तो सभी को मुफ्त वैक्सीन दी जाएगी। चुनाव में बीजेपी नंबर-2 पार्टी बन गई और जेडीयू के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही.

इस बीच, राजनीतिक विशेषज्ञों ने आईएएनएस को बताया कि मुफ्त चुनावी वादे कम मार्जिन वाली सीटों पर मास्टरस्ट्रोक के रूप में काम करते हैं। राजनीतिक दल अपनी सुविधा के अनुसार मुफ्त के वादे करने से नहीं चूकना चाहते।

इसलिए राजस्थान में मुफ्त सुविधाओं को लेकर वाकयुद्ध के बीच, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि राज्य विधानसभा चुनावों में कौन सी पार्टी जीतेगी, यह देखने के लिए कि क्या ‘रेवड़ी राजनीति’ वास्तव में लंबे समय में मायने रखती है।

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