Pitru Paksha। पितरों को सनातन धर्म में पूजा जाता है. माना जाता है कि अगर पितरों का घर पर आशीर्वाद बना रहेगा तो जीवन में सुख समृद्धि का संचार होगा. ऐसी भी मान्यता है कि पितरों को नाराज नहीं किया जाता है, इससे जीवन कष्टों से घिर जाता है.
इन सब नियमों को पौराणिक समय से माना जाता है और उसी परंपरा को हम सब मानते आ रहे हैं. देश में कुछ ऐसे तीर्थ स्थल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मौजूद जहां पर पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
घर में लगा पितृ दोष ऐसा करने से हट जाता है और सारी अड़चनें भी दूर हो जाती हैं.
आज से पितृपक्ष शुरू हो गया है और ये पूरे 16 दिन चलेगा. इन 16 दिनों में लोग अपने पितरों का श्राद्ध करेंगे और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करेंगे.
हालांकि कुछ तीर्थ स्थल ऐसे हैं जहां अगर आप पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों का पिंडदान कर देते हैं तो उन्हें मोक्ष मिल जाएगा और वो बैकुंठ चले जाएंगे. आईए जानें कौन से हैं वो तीर्थ स्थल-
पौराणिक कथाओं के अनुसार गया शहर अपनी पवित्रता के लिए जाना जाता है. ग्रंथों के अनुसार माता सीता ने राजा दशरथ जी का पिंडदान यहीं किया था. एक और मान्यता है कि भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति गया में ही हुई थी और इसी वजह से गया को बोधगया भी कहा जाता है. आप इस तीर्थ स्थल पर जा कर अपने पितरों का पिंडदान कर सकते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार गया में पिंडदान करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.Pitru Paksha
हम सब जानते हैं कि वाराणसी एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां हर व्यक्ति एक बार जाना जाता है. वहां जाकर पूजा पाठ करने से आपके पापों का नाश होता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यहां पूरी विधि पूर्वक पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. यहां पर पिंडदान के बाद बाबा विश्वनाथ के दर्शन जरूर करने चाहिए.
हरिद्वार देश के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है जहां गंगा नदी भी मौजूद है. ऐसी मान्यता है कि गंगा किनारे पितरों का पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष मिलता है. यहां पितरों का पिंडदान करके गंगा मैया का आशीर्वाद जरूर लें.
भगवान श्री महाकाल के शहर उज्जैन में भी पिंडदान करना बहुत शुभ माना जाता है. यहां क्षिप्रा नदी के किनारे पिंडदान करने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. ऐसा कहा जाता है कि यहां पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें महाकाल की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
तीर्थ स्थलों में प्रयाग को सबसे अच्छा माना गया है. यहां पिंडदान करने की बड़ी मान्यता है और प्रयाग शहर में मुख्य कर्म मुंडन और श्राद्ध ही होते हैं. यहां त्रिवेणी संगम के पास पिंडदान किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां श्राद्ध कर्म करने से पितर जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं.Pitru Paksha
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