गाजा में रहने वाली 24 लाख की आबादी में ज्यादातक लोग शरणार्थियों के वंशज हैं। इजरायली अधिकारियों के मुताबिक 7 अक्टूबर का हमला राज्य की स्थापना के बाद से इजरायली धरती पर सबसे घातक हमला था जिसमें अधिकांश पीड़ितों को पहले ही दिन गोली मार दी गई। लोगों ने कहा कि हमने एक रात नरक की तरह बिताई है। आसमान लाल था सब कुछ नष्ट हो गया था।
लगभग 15 दिन बाद भी इजरायल और हमास आतंकियों के बीच युद्ध जारी है। अब इस युद्ध का खामियाजा गाजा पट्टी में रहने वाले आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, वहां पर फंसे लोग अब अपनी पीड़ा का जिक्र कर रहे हैं।
उमर अशूर, जो 75 साल पहले इजरायल के निर्माण के बाद फलस्तीनियों द्वारा अनुभव की गई नकबा के दौरान शरणार्थी बन गए थे और अब उन्हें डर है कि गाजा पर चल रही बमबारी उन्हें फिर से निर्वासन के लिए मजबूर कर देगी। फलस्तीनी प्राधिकरण सुरक्षा बलों से सेवानिवृत्त हुए जनरल अशूर मध्य गाजा के अल-जहरा में रहते हैं, जहां गुरुवार देर रात इजरायली मिसाइलों ने 20 से अधिक इमारतों के क्षेत्र को नष्ट कर दिया।
हालांकि, निवासियों को हमले से पहले भागने की चेतावनी दे दी गई थी, लेकिन उनमें से कई लोग सड़क पर दौड़ पड़े, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था कि आखिर उन्हें जाना कहां है। समाचार एजेंसी एएफपी के एक पत्रकार ने कहा कि जब वे शुक्रवार की सुबह वापस लौटे, तो उन्हें तबाही का मंजर दिखाई दिया, बड़ी-बड़ी इमारतें खंडहर और मलबे में तब्दील हो गए थे।
इजरायली सेना ने उत्तरी गाजा में रहने वाले फलस्तीनियों से जमीनी अभियान से पहले दक्षिण की ओर जाने का आग्रह किया, लेकिन अशूर ने वहीं रुकने का फैसला किया। जारी बमबारी के बीच उन्हें भविष्य की भी चिंता है। उन्हें डर है कि युद्ध गाजा के निवासियों को फिर से भागने के लिए मजबूर कर देगा।
अशूर ने 1948 के युद्ध के दौरान अपने घरों से भागे 76 हजार फलस्तीनियों का जिक्र करते हुए एएफपी को बताया, “जो हो रहा है वह खतरनाक है। मुझे डर है कि चल रहे विनाश एक नए नकबा को जन्म देगी, जो इजरायल के निर्माण के साथ हुआ था।”
गाजा में रहने वाली 24 लाख की आबादी में ज्यादातर लोग शरणार्थियों के वंशज हैं। अशूर ने बताया कि वह सिर्फ आठ साल के थे, जब वह और उनका परिवार 1948 में मजदल से गाजा भाग गए थे। वहीं, अब यह युद्ध उनके पुराने और दर्दनाक यादों को ताजा कर रही है।
उन्होंने कहा, “आज जो हो रहा है वह बहुत बुरा है। उस समय, इजरायल लोगों को मारने और भगाने के लिए मजबूर करने के लिए गोलीबारी करता था, लेकिन वर्तमान स्थिति अधिक भयावह है।”
इजरायली अधिकारियों के मुताबिक, 7 अक्टूबर का हमला राज्य की स्थापना के बाद से इजरायली धरती पर सबसे घातक हमला था, जिसमें अधिकांश पीड़ितों को पहले ही दिन गोली मार दी गई, काट दिया गया या जला दिया गया था।
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, तब से, लगातार इजरायली बमबारी में 4,300 से अधिक फलस्तीनी, मुख्य रूप से नागरिक मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि चल रहे बमबारी अभियान के कारण लगभग दस लाख गाजावासी विस्थापित हो गए हैं। साथ ही इजरायल ने गरीब इलाके में पानी, बिजली, ईंधन और भोजन की आपूर्ति भी बंद कर दी है।
रामी अबू वाज़ना अल-ज़हरा में विनाश को देख रहे हैं, उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी के एक पत्रकार ने कहा कि लगभग 24 इमारतें नष्ट हो गईं। उन्होंने कहा, “मैंने अपने सपने में भी इतना बुरा नहीं सोचा था। यहां से भागे हजारों निवासी इजरायली हमलों से बचने के लिए आश्रय खोजने की कोशिश में रात बिताई है।”
अबू वाजना ने कहा, “हम पर बमबारी क्यों कर रहे हैं, हम नागरिक हैं! हम कहां जाएंगे? सब कुछ चला गया है।” उन्होंने आगे कहा, “हमने अपने दादा-दादी को नकबा के बारे में बात करते हुए सुना है और आज हम ही इसे जी रहे हैं, लेकिन हम अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।
वह कहती है, “हमने एक रात नरक की तरह बिताई है। आसमान लाल था, सब कुछ नष्ट हो गया था।” उन्होंने कहा, “हम अपने साथ कुछ भी नहीं ले गए। मैं बच्चों के लिए कपड़े ढूंढने की कोशिश कर रही हूं, ताकि उन्हें ठंड न लगे। वे हमें बेघर करना चाहते हैं।”
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