देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का रामपुर की आजादी में बड़ा योगदान रहा। उनके प्रयासों से देश की 565 रियासतों का भारत गणराज्य में विलय हुआ था, इनमें से एक रामपुर रियासत थी। सरदार पटेल ने इसके लिए नवाब परिवार से कई दौर की वार्ता के साथ पत्राचार भी किया। इसके बाद रामपुर नवाब रजा अली खां विलय के राजी हो गए। देश की आजादी के करीब दो साल बाद रामपुर को आजादी मिली थी।
भारत अंग्रेजों की हुकूमत से 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, जिसका जश्न देश भर में मनाया गया था, लेकिन रामपुर के हालात उस समय अलग थे। रामपुर का इतिहास लिखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता शौकत अली खां ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि रामपुर में 15 अगस्त, 1947 को लोग आजादी की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे थे।
इससे पहले चार अगस्त को रामपुर में बवाल हुआ था। तब रजा अली खां यहां के नवाब थे। बशीर हुसैन जैदी रामपुर रियासत के मुख्यमंत्री थे। नवाब रजा अली खां के बड़े बेटे मुर्तजा अली खां आर्मी चीफ थे। नवाब और उनके बेटे में भी कुछ अनबन रहती थी।
इसको लेकर मुख्यमंत्री बशीर हुसैन जैदी ने कुछ लोगों को उकसा दिया और बवाल हो गया। लोगों ने कोर्ट, तहसील और मालखाना फूंक दिया था। 12 आंदोलनकारियों की मौत हुई और अनेक लोगों को जेल में बंद कर दिया गया था। आजादी के बाद देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को 565 से ज्यादा रियासतों को स्वतंत्र भारत में विलय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
जिसके बाद सरदार पटेल ने रामपुर रियासत का विलय नवाब परिवार से बातचीत के बाद भारत में कराया। एक जुलाई 1949 को रामपुर का भारत में विलय हुआ था। इसके बाद रामपुर केंद्र सरकार के अधीन हो गया था। एक दिसंबर, 1949 को रामपुर को उत्तर प्रदेश का जिला घोषित किया गया।
देश आजाद होने के बाद से ही रामपुर को स्वतंत्र भारत में विलय कराने के लिए वार्ता शुरू हो गई थी। नवाब रजा अली के सामने विलय का प्रस्ताव लाया गया, जिस पर उन्होंने सहमति जताई। कुछ मुद्दों पर सहमति होने के बाद रामपुर का स्वतंत्र भारत में विलय हो गया।
इतिहासकार बताते हैं कि नवाबों के शासन से पहले रामपुर में कटेहर राजपूत का शासन था। 1200-1300 ईसवीं के बीच रामपुर के राजा राम सिंह रहे। इन्हीं के नाम पर चार छोटे-छोटे गांवों के समूह बनाए गए, जिसको राजा राम सिंह ने रामपुर का नाम दिया। शासन बदलने के बाद 1774 में पहले नवाब फैजुल्ला खां को रामपुर का नाम पसंद नहीं आया, जिस पर इसका नाम फैजाबाद कर दिया।
मगर, बताया गया कि फैजाबाद नाम का शहर भारत में है। इसके बाद उसका नाम मुस्तफाबाद कर दिया गया। मगर, बाद में जब उन्हें यह पता चला कि मुस्तफाबाद नाम से भी भारत में शहर है तो उन्होंने फिर नाम बदलकर रामपुर ही कर दिया। तब से यही नाम देश दुनिया में प्रसिद्ध हो गया।
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