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केजरीवाल के बाद भगवंत मान भी आएंगे जांच के घेरे में,जानिये क्यों?

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा पंजाब सरकार की उसी एक्साइज पालिसी को सही करार देते रहे हैं, जिसके अंतर्गत दिल्ली में तथाकथित रूप से घोटाला होने की बात कही जा रही है। राघव चढ्ढा यह प्रश्न खड़ा करते रहे हैं कि जो नीति पंजाब के मामले में सही है, वही दिल्ली के संदर्भ में गलत कैसे हो सकती है…

शराब घोटाले में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार बुरी तरह फंस चुकी है। आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह पहले ही इस मामले में जेल में हैं, अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता हुआ दिखाई पड़ रहा है। लेकिन शराब घोटाले का मामला केवल दिल्ली तक ही नहीं रुकेगा। माना जा रहा है कि इसकी जांच की आंच में पंजाब सरकार भी झुलस सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आम आदमी पार्टी के मोहाली से विधायक कुलवंत सिंह के घर और कार्यालय पर भी छापेमारी हो चुकी है। हालांकि, कुलवंत सिंह ने इसे सामान्य जांच का हिस्सा बताया है, लेकिन जानकारों की मानें, तो इसकी आंच में कुलवंत सिंह के साथ-साथ पंजाब सरकार के कुछ अन्य रसूखदार लोग भी सामने आ सकते हैं। शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने पहले ही इस तरह के आरोप लगाना शुरू कर दिया है।

दरअसल, कुलवंत सिंह पंजाब विधानसभा के सबसे अमीर विधायक हैं। वे रियल स्टेट के साथ-साथ शराब कारोबार से भी जुड़े बताये जाते हैं। उनकी रियल स्टेट कंपनी के कुछ मामलों में भी पहले जांच हो चुकी है। लेकिन 31 अक्तूबर को जिस दिन अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होकर पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया था, उसी दिन पंजाब विधायक कुलवंत सिंह के घर पर भी एजेंसियों ने छापेमारी शुरू कर दी थी। उसी समय यह जानकारी सामने आ गई थी कि कुलवंत सिंह के घर-कार्यालय पर छापेमारी शराब घोटाले के बारे में ही हो रही है। लगभग 13 घंटे तक चली जांच में एजेंसियों ने कुछ पुख्ता सबूत जुटाए हैं। इससे शराब घोटाले में पंजाब के भी कुछ आम आदमी पार्टी के नेताओं की भागीदारी सामने आ सकती है। इसके पहले शिरोमणि अकाली दल के एक नेता के घर पर इस मामले में छापेमारी हुई थी।    

राघव चड्ढा की सक्रियता से बढ़ा संदेह

दरअसल, इसके पहले आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा पंजाब सरकार की उसी एक्साइज पालिसी को सही करार देते रहे हैं, जिसके अंतर्गत दिल्ली में तथाकथित रूप से घोटाला होने की बात कही जा रही है। राघव चढ्ढा यह प्रश्न खड़ा करते रहे हैं कि जो नीति पंजाब के मामले में सही है, वही दिल्ली के संदर्भ में गलत कैसे हो सकती है। कहा यहां तक जाता है कि राघव चड्ढा पंजाब सरकार के कामकाज में बहुत अधिक दखल रखते हैं और दिल्ली से कुछ नेता पंजाब सरकार के कामकाज पर बारीक से नजर रखते हैं। इसकी पूरी रिपोर्ट अरविंद केजरीवाल को दी जाती है।

पार्टी की इसी गतिविधि को शराब घोटाले से जोड़ते हुए यह कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के नेता पंजाब सरकार में भी कामकाज को उसी अंदाज में प्रभावित करने की कोशिश की होगी, जिस तरह से शराब घोटाले के मामले में दिल्ली में की गई। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि दिल्ली की तरह पंजाब में भी घोटाला सामने आ सकता है और उसकी आंच में खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान तक आ सकते हैं।

हालांकि, कुलवंत सिंह के यहां हुई जांच सीधे तौर पर दिल्ली के शराब घोटाले से जुडी हुई है। एजेंसियों को शक है कि सर्वोच्च न्यायालय ने शराब घोटाले में जिस 338 करोड़ रूपये के मनी ट्रेल की बात की है, उस पैसे को कुलवंत सिंह के जरिये ही ठिकाने लगाया गया होगा। जांच एजेंसियां यही पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या रियल एस्टेट कारोबार और शराब कारोबार के पीछे कुलवंत सिंह ने ही इस पैसे को ठिकाने लगाने की कोशिश की। यदि ऐसा हुआ है तो जांच एजेंसियां इस मनी ट्रेल को स्थापित कर अपनी जांच को पुख्ता करना चाहेंगी, जिससे उनका केस सुप्रीम कोर्ट तक मजबूत बना रहे और उनकी साख पर कोई असर न आये। अनुमान है कि इसी कारण आने वाले समय में कुलवंत सिंह सहित कुछ अन्य नेताओं के घरों-दफ्तरों में छापेमारी की जा सकती है।     

पार्टी का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र अस्थिर करने की हो सकती है कोशिश

यह मामला भले ही भ्रष्टाचार से जुड़ा है, लेकिन आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह एक बदले की कार्रवाई है। लेकिन यदि दिल्ली में सरकार को आंच पहुंचती है, तो इसके बाद भी आम आदमी पार्टी के पास पंजाब के रूप में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के पास दूसरा मजबूत गढ़ बना रहेगा। यहां से अरविंद केजरीवाल को न केवल राजनीतिक मदद मिल सकती है, बल्कि उन्हें आर्थिक स्तर पर भी सहयोग मिल सकता है।

यही कारण है कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह डर सता रहा है कि दिल्ली के बाद पंजाब पर भी शिकंजा कस सकता है, जिससे आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को पूरी तरह काबू में किया जा सके।

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