स्पेन में संपन्न हुए दूसरे ला रेजीडेंशिया नवारा कार्यक्रम में भारत की तरफ से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता उषा जाधव की मौजूदगी ने हिंदी फिल्म जगत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नई ख्याति दिला दी है। उषा जाधव की बतौर निर्माता नई फिल्म ‘मेड इन 1999’ उन पांच अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में शामिल है जिसका इस कार्यक्रम में चयन हुआ। इस फिल्म के निर्देशक अलेखांद्रो कोर्टेस हैं। स्पेन के शहर यूगुई में हुए इस कार्यक्रम के पहले चरण में पॉला ऑर्टिज, जैओन कैम्बोर्डा, अल्वारो गागो, लॉरा फैरेस जैसे दिग्गज फिल्मकारों ने इस कार्यक्रम में शामिल हुए फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों का मार्गदर्शन किया।
ला रेजीडेंशिया नवारा (एलआरएन) एक फिल्म विकास कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत पिछले साल ही हुई है। इस कार्यक्रम के तहत सिनेमा को आगे बढ़ाने की कोशिश करने वाली फिल्मों का दर्जनों आवेदनों के बीच से चयन किया जाता है और फिर इनके निर्माता निर्देशकों को वे सारी सहूलियतें मुहैया कराई जाती हैं तो एक फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार जरूरी हैं। एलआरएन का दूसरा संस्करण गुरुवार से शुरू हुआ और इसके पहले चरण का समापन रविवार को हुआ। इस कार्यक्रम के अभी दो चरण और होने हैं।
क्विंटो रीयल होटल की खूबसूरत हरियाली के बीच हुए इस कार्यक्रम में जिन पांच फिल्मों के लेखक, निर्देशक और निर्माता शामिल हुए, उसमें फिल्म ‘मेड इन 1999’ की टीम भी शामिल थी। फिल्म की निर्माता उषा जाधव हैं। मैड्रिड से फोन पर ‘अमर उजाला’ से बात करते हुए उषा जाधव की आवाज में इस कामयाबी की खनक साफ महसूस होती है। वह बताती हैं, ‘स्पेन में रहते हुए मैंने यहां के सिनेमा और यहां सिनेमा निर्माण के तौर तरीकों को करीब से समझा है। ये फिल्म हमने बहुत मेहनत से लिखी और तैयार की है। इस रेजीडेंसी कार्यक्रम में चयनित होना हमारी पूरी टीम के लिए बहुत उत्साहजनक रहा।’
फिल्म ‘मेड इन 1999’ के बारे में तो उषा ज्यादा खुलासा नहीं करती हैं क्योंकि अभी फिल्म निर्माण की शुरुआती अवस्था में है लेकिन फिल्म की पटकथा का एक अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में शामिल होना भी कम नही हैं, ये बात उषा भी मानती हैं। इन दिनों स्पेन और यूरोप के अन्य देशों में बनी फिल्मों का ओटीटी पर खूब बोलबाला है। भारत में भी हॉलीवुड के बाद स्पैनिश फिल्में ही सबसे ज्यादा देखी जाती हैं। इस बारे में बात चलने पर उषा कहती हैं, ‘स्पेन बहुत ही खूबसूरत देश है। यहां का प्राकृतिक वातावरण मन मोह लेता है और यहां फिल्म बनाने के लिए न सिर्फ सारी सहूलियतें मौजूद हैं बल्कि फिल्म बनाने के लिए सार्वजनिक कोष से धन की उपलब्धता भी सुगम है बशर्ते आप इसके मानदंडों को पूरा करते हों और आपके पास फिल्म बनाने का पर्याप्त अनुभव हो।’
एआरएन 2 में शामिल होने के अपने अनुभवों के बारे में उषा का कहना है कि ये कार्यक्रम फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों को अपनी पटकथा को तराशने, फिल्मों मे पैसा लगाने वालों के लिए फिल्म का प्रभावी प्रस्ताव बनाने और उसके बाद के चरणों के लिए बहुत ही मददगार कार्यक्रम है। उषा बताती हैं, ‘एलआरएन 2 में हमारी फिल्म का चयन होने से ही ये साफ हो गया है कि अब हमें इसके लिए ज्यादा परेशानी नहीं होगी। यहां फिल्म बनाना रचनात्मक और वित्तीय दोनों दृष्टिकोण से हमेशा विन-विन का मौका होता है।’
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