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उत्तरकाशी टनल: मशीन ऑपरेटर ने बताया कैसे हुआ था हादसा, पढ़िये पूरा मामला

यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में बीते रविवार तड़के हुए हादसे में तकरीबन 40 मजदूर फंसे हैं। घटना के बाद से हर कोई सदमे में है। ओडिशा राज्य के नबरंगपुर निवासी साइमन बत्रा उन मजदूरों में से एक हैं, जिन्होंने सिलक्यारा सुरंग हादसे में मौत को करीब से देखा है। शॉटक्रिट मशीन के ऑपरेटर साइमन की हादसे वाले दिन से ही तबीयत खराब है।

उसने बताया कि जहां भूस्खलन हुआ उससे कुछ दूरी पर ही वह अपने कुछ साथियों के साथ बैठा हुआ था। एक सेकेंड में वहां बम ब्लास्ट जैसी आवाज के साथ मलबा गिरा और सुरंग में धूल का गुबार फैल गया जिसके बाद से उसकी धड़कन बढ़ी हुई है और वह बीमार है।

यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन की घटना के तीन दिन बाद बुधवार को साइमन बत्रा वर्कर क्वाटर्स के बाहर गुमसुम बैठा मिला। उससे घटना के दिन की जानकारी लेने पर उसने आपबीती सुनाई। साइमन बत्रा ने बताया कि वह और उसके कुछ साथी काम खत्म कर भूस्खलन वाली जगह से बाहर की ओर किनारे पर बैठे हुए थे।
कुछ साथी अंदर की ओर थे। इसी बीच वहां बम ब्लास्ट जैसी आवाज के साथ भारी भूस्खलन हुआ और पूरी सुरंग में धूल का गुबार छा गया। उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि क्या हुआ, वह अपनी जान बचाने के लिए बाहर की ओर भागे।

वहीं अंदर बैठे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंसकर रह गए। हादसे के बाद उसकी दिल की धड़कनें बढ़ गई। घटना के बारे में सोचकर सिरदर्द हुआ। बुखार भी आया। बताया कि अभी भी उसे कुछ अच्छा महसूस नहीं हो रहा है। उसके साथियों का कहना है कि घटना के बाद से ही साइमन गुमसुम रह रहा है और किसी से ज्यादा बात नहीं करता।

इस तरह के हादसों के कारण मानसिक आघात के साथ शारीरिक दिक्कतें भी होती हैं जिसमें नींद न आना, सिरदर्द और फोबिया की समस्या हो सकती है। इसके उपचार के लिए काउंसलिंग जरूरी है। यदि काउंसलिंग से भी व्यक्ति ठीक न हो तो उसे मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

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