Rajasthan में नई सरकार आते ही पुलिस महकमे के मुखिया ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। पिछले एक साल से पुलिस महानिदेशक (DGP) का पदभार संभालने वाले उमेश मिश्रा के अचानक इस्तीफा दे दिया है। अब उनके इस्तीफे को लेकर ब्यूरोक्रेसी और सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना रहा है।
बता दें कि शुक्रवार 29 दिसंबर को दोपहर 3 बजे उमेश मिश्रा ने भारतीय पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन किया और उसी दिन राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने तुरंत उनका VRS मंजूर कर लिया। जिसके बाद उसी दिन उन्हें रिलीव कर दिया। शाम 6 बजे तक भजनलाल सरकार ने सीनियर आईपीएस यूआर साहू को कार्यवाहक डीजीपी बनाने का आदेश जारी कर दिया।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद उमेश मिश्रा ने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट कर बतौर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अपने तीन दशक के सफर को याद किया। उनकी इस पोस्ट पर शुभचिंतकों ने भी प्रतिक्रिया दी है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
उमेश मिश्रा ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘प्रिय साथियों एवं मित्रों…कल मैंने भारतीय पुलिस सेवा से वीआरएस लिया। मेरी पूरी सेवा के दौरान मुझे पुलिस बल और जनता का हर तरह से पूरा सहयोग मिला है। मुझे एक पुलिस बल का नेतृत्व करने पर गर्व है। जिसने अपनी पेशेवर उपलब्धियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। यह तीन दशक से अधिक की एक अद्भुत यात्रा रही है। जनता और मेरे प्यारे पुलिस परिवार द्वारा मुझ पर दिए गए प्यार, स्नेह और सम्मान को मैं हमेशा संजोकर रखूंगा। राजस्थान पुलिस के सभी पुलिस कर्मियों और जनता का मेरा दिल से आभार। सभी को आगामी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं…।’
बता दें कि उमेश मिश्रा का कार्यकाल अगले साल नवंबर 2024 तक था, लेकिन उन्होंने अचानक ही VRS ले लिया। कार्मिक विभाग ने 29 दिसंबर को ही उमेश मिश्रा के वीआरएस के आवेदन को स्वीकार कर लिया। उनके वीआरएस लेने के बाद डीजी (होमगार्ड्स) के पद पर तैनात सीनियर आईपीएस अधिकारी उत्कल रंजन (यू.आर.) साहू को DGP के पद का कार्यभार सौंपा गया है। अब भजनलाल सरकार डीजीपी की नियुक्ति करेगी।
उमेश मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीबी अफसर थे। जुलाई 2020 में जब गहलोत सरकार पर सियासी संकट आया था तब IPS उमेश मिश्रा इंटेलिजेंस में एडीजी थे। उन्होंने सीएम को सरकार गिरने की संभावनाओं के कई इनपुट दिए थे। साथ ही मिश्रा ने गहलोत सरकार बचाने में भी मदद की। इसी का तोहफा देते हुए सीएम गहलोत ने दो वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार करके उमेश मिश्रा को पुलिस विभाग का मुखिया (डीजीपी) बना दिया था।