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School Timing: जिला मुख्यालय सहित संभाग में कड़ाके की ठंड,

School Timing/सूरजपुर : जिला मुख्यालय सहित सरगुजा संभाग जनवरी के दूसरे सप्ताह में ठंड और कोहरे की जकड़ में है।यहां हालात कुछ ऐसे है की सुबह दस बजे तक सूरज की रोशनी भी ठीक से दिखाई नहीं दे रही है। विजिबिलिटी कम होने की वजह से वाहन चलाने में भी वाहन चालकों को बहुत दिक्कत हो रही है।

सुबह आठ बजे बस, ऑटो, वैन के स्कूली वाहनों से स्कूल जाने वाले बच्चों के पालकों को कोहरे को देखते हुए सबसे अधिक चिंता हो रही है।

 कोरोना के साए में सबसे अधिक समस्या स्कूली छात्रों को उठानी पड़ रही है। मौसम के इस दौर में सर्दी खांसी और बुखार स्कूली बच्चों के लिए आम हो गया है। अस्पतालों में इसके मरीज अधिक पहुंच रहे हैं। ऐसे मौसम में संभागीय और जिला प्रशासन स्कूलों के संचालन के समय में विशेष ध्यान नहीं दे रहा जिसका खामियाजा छात्र और अभिभावक उठा रहे हैं। 

 स्कूलों के संचालन के समय में कटौती करने की बजाय जिले में व्यवस्था भगवान भरोसे ही छोड़ दी गई है। स्थानीय प्रशासन की बेरुखी के चलते निजी स्कूल सहित सरकारी स्कूल अपने ही ढर्रे पर है।

स्कूली छात्रों के पालकों का कहना है कि जिले में एक पाली वाले सरकारी स्कूल सुबह 9.45 बजे लग जाते है। इसके लिए बच्चे कहीं पर 9 बजे तो कही पर सवा नव बजे घर से स्कूल के लिए निकल जाते है। हाई और हायर सेकंडरी स्कूल के दूर दराज में रहने वाले बच्चे 8.30 बजे ही घर से निकल रहे है।

स्कूलों की छुट्टी भी शाम 4 बजे होती है जिसकी वजह से बच्चो को घर आते आते शाम पांच बज जा रहे है। यही हालत निजी स्कूलों के भी है। ठंड के मौसम में सात से आठ घंटे का स्कूल संचालन समझा से परे है।

पालकों का कहना है कि निजी स्कूलों में स्कूल के निर्धारित स्वेटर और ब्लेजर के अलावा छात्रों को कोई और अन्य जैकेट पहनने की मनाही है। लेकिन इस मामले में सरकारी स्कूलों में सुविधाएं है। छात्र अतिरिक्त दूसरे स्वेटर या जैकेट पहनकर आ सकते हैं। लेकिन यहां पर समस्या यह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे मध्य और गरीब परिवारों से आते हैं।

प्रेमनगर ,ओडगी और भैयाथान जैसे विकासखंड अधिकांश ग्रामीण, आदिवासी गरीब बाहुल्य क्षेत्र है। छात्रों के पास ढंग के स्वेटर भी नहीं है। यहां पर यह समस्या हर साल सर्दियों की है। 

 बीते वर्ष भी जिले का मौसम ऐसा ही था। ऐसी स्थिति को देखते हुए स्थानीय विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री के निर्देश पर शाला संचालन के समय में कटौती करते हुए दोनो पाली के स्कूलों के समय में कटौती की गई थी। 

पालकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद जिले की स्थानीय मंत्री और स्थानीय विधायक एक दम नए है। वे ऐसी स्थानीय समस्याओं से निपटने में अंजान है। यही वजह है कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी निर्णय लेने में कतरा रहे है।जनप्रतिनिधियों के अनुभव न होने का खामियाजा छात्र और पालको उठना पढ़ रहा है।

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