बिलासपुर—कांग्रेस नेता पूर्व विधायक शैलेष पाण्डेय ने आयोध्या में 22 जनवरी को आयोजित भगवान की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देश के चारों शंकराचार्य ने उपस्थित होने से इंकार कर दिया है। निश्चित रूप से चारो शंकराचार्य का एलान सनातन समाज को दुख पहुंचाने वाला है। प्रेस नोट जारी कर पूर्व विधायक ने बताया कि निश्चित रूप से भगवान की प्राण प्रतिष्ठा बहुत बड़ी उपलब्धि है। लेकिन जब कार्यक्रम में हिन्दू समाज के बड़े संत शिरकत नहीं करेंगे..इससे बड़ा साधु समाज का क्या अपमान हो सकता है। शैलेष ने भगवान को राजनीति में घसीटने का भी विरोध किया। उन्होने बताया कि भूपेश सरकार ने राम गमन पथ का निर्माण किया। कौशल्या माता की मंदिर को नया स्वरूप दिया। बावजूद इसके हमने धर्म को राजनीति से दूर रखा।
पूर्व विधायक कांग्रेेस नेता शैलेष पाण्डेय ने प्रेस नोट जारी कर हिन्दू धर्म के सबसे बड़े संतों ने अयोध्या में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शिरकत करने से इंकार किया है। समाचार सुनकर पीड़ा हुई है। इतने बड़े कार्यक्रम में चारो शंकराचार्यो का शामिल नहीं होना सनातन समाज को पीड़ा पहुंचाने वाला है। मालूम होना चाहिए कि आदि शंकराचार्य ने देश के चारों दिशा में चार मठ स्थापित किया । चारो मठ में शंकराचार्य बैठाया। इतिहास गवाह है कि जब जब देश को जरूरत पड़ी है शंकराचार्यों ने नई दिशा देकर हिन्दुत्व की रक्षा में खुद को आत्मोत्सर्ग किया । दुख की बात है कि आज उन्ही शंकराचार्यों को अपमानित होना पड़ रहा है।
शैलष ने कहा हमारे चारो शंकराचार्य चार वेदों के ज्ञाता और उपनिषदों के विद्वान हैं। आश्चर्य जाहिर किया कि भाजपा को आखिर अधूरे निर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की इतनी जल्दबाजी की जरूरत क्या है। यदि शंकराचार्य ने अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का विरोध किया है..तो इसकी कोई वजह तो होगी ही। वजह सनातनियों के साथ देश के हितग्राही ही होगा। बावजूद इसके शंकराचार्यों की बातों को अनसुनी किया जाना बहुत दुखद है। ऐसा लगता है कि सब कुछ लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। अब तो ऐसा लग रहा है कि भाजपा को सिर्फ मंदिर निर्माण तक ही संतो की जरूरत थी। अब संतो का काम पूरा हो गया है…इसलिए उन्हें दरकिनार किया जा रहा है।