बिलासपुर—गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में 18 और 19 जनवरी को भारतीय विश्वविद्यालय संघ मध्य क्षेत्र के कुलपतियों का सम्मलेन आयोजित किया गया है। एक दिन पहले प्रशासनिक भवन स्थित सभागार में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। इस दौरान भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष प्रो. जी.डी. शर्मा, महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, और उपाध्यक्ष प्रो.विनय कुमार पाठक ने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया। अतिथियों ने सम्मेन के उद्देश्यों समेत समस्त गतिविधियों पर प्रकाश डाला। अतिथियों ने इस दौरान बताया कि एआईयू सम्मेलन का लाभ निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ राज्य को मिलेगा।
डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि एआईयू विश्व का विश्वविद्यालयों का सबसे बड़ा संगठन है। विदेश से उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को समकक्षता प्रमाण पत्र प्रदान करता है। एआईयू हर साल कुलपतियों के 6 सम्मेलन आयोजित करता है। इनमें एक राष्ट्रीय सम्मेलन भी होता है। इसमें पूरे देश के कुलपति शामिल होते हैं। विश्व के 16 अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय एआईयू के सदस्य हैं।
भारतीय दर्शन की सहयोगी भूमिका
प्रो. जी.डी. शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि भारतीय दर्शन हमेशा सहयोगात्मक रहा है। इसे शिक्षा प्रणाली में समाहित करने का प्रयास किया जा रहा है। विकसित भारत अभियान के तहत देश को 2047 तक विकसित राष्ट्रों की कतार में खड़ा करना हमारा उद्देश्य है। लेकिन सिर्फ विकसित होना ही हमारा मानदंड नहीं है। इसमें खुशी और संतुष्टि मापदण्ड भी शामिल है।सवाल जवाब के दौरान प्रो.जी़डी शर्मा ने कहा कि वैदिक साहित्य और जीवन को भी समय और वैज्ञानिक सोच के साथ शिक्षा नीति में समाहित किया जाएगा। निश्चित रूप से इसका लाभ भारत के परिप्रेक्ष्य में छात्रों को मिलेगा। प्रयास लगातार जारी है। उन्होने यह भी बताया कि कुलपतियों की मीट का फायदा निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश दुनिया से आने वाले कुलपतियों की जानकारी लाभ देगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने बताया कि हर्ष का विषय है कि भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय पर भरोसा जताया । मध्य भारत के कुलपतियों का सम्मेलन आयोजित करने की अनुमति से हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह आयोजन प्रदेश ही नहीं देश में मील का पत्थर साबित होगा। पत्रकार वार्ता में पूर्व कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव विशेष रूप से मौजूद रहे।
मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल लगातार सम्मलेन की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं। सम्मलेन का थीम-“नरचरिंग रिसर्च एंड इनोवेशन सिस्टम” यानी अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा पर केन्द्रित किया गया है। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ समेत छह राज्यों के 55 कुलपति शामिल होंगे। 18 जनवरी, 2024 को उद्घाटन समारोह का आयोजन मुख्य अतिथि राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के कर कमलों से होगा। इस दौरान विशिष्ट अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली से सचिव डॉ. अतुल कोठारी, उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो.जी.डी. शर्मा करेंगे। प्रो.विनय कुमार पाठक,डॉ. पंकज मित्तल,समारोह को सम्बोधित करेंगी। उद्घाटन समारोह के बाद दोपहर न 11.45 से दोपहर 1.15 तक शीर्ष निकायों के अधिकारियों के साथ संवाद का सत्र होगा। सत्र के अध्यक्ष प्रो.विनय कुमार पाठक सह-अध्यक्ष डॉ. पंकज मित्तल,होंगी। द्वितीय सत्र दोपहर 1.15 से दोपहर 2 तक एआईयू बिजनेस सत्र का होगा। सत्र के अध्यक्ष प्रो.जी.डी.शर्मा और सह-अध्यक्ष डॉ. पंकज मित्तल होंगी।
6 राज्यों के विश्वविद्यालय होंगे शामिल
सम्मेलन में भारतीय विश्वविद्यालय संघ मध्य क्षेत्र के छतीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और तेलंगाना राज्य के केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, मानित विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय के अलावा राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान शामिल होंगे।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ
भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सदस्यों ने बताया कि 1925 में एआईयू का गठन हुआ। संगठन उच्च शिक्षा, खेल और संस्कृति के क्षेत्र में भारत सरकार का शोध-आधारित नीति सलाह संस्थान है। भारतीय विश्वविद्यालयों के एक प्रतिनिधि निकाय के रूप में काम करता है। वर्तमान में 16 विदेशी समेत लगभग 1000 विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सदस्य हैं। खुशी की बात है कि एआईयू अध्यक्षता की जिम्मेदारी देश के प्रथम उप-राष्ट्रपति शिक्षाविद डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ.जाकिर हुसैन, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डॉ. के.एल. श्रीमाली और ए.एल.मुदालियार जैसे ख्याति प्राप्त विद्वान कर चुके हैं। वर्तमान समय में प्रो.जी.डी.शर्मा अध्यक्ष हैं।
तीन तकनीकी सत्र और एक बिजनेस सत्र
पत्रकार वार्ता में पदाधिकारियों ने बताया कि दोपहर भोजन के बाद पहला तकनीकी सत्र दोपहर 3 बजे से शुरू होकर शाम 4.45 बजे तक चलेगा। सत्र का विषय “सहयोगात्मक अनुसंधान नेटवर्क: अंतरविषयक अनुसंधान को बढ़ावा” पर केन्द्रित होगा। सत्र की अध्यक्षता प्रो. अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी, कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय करेंगे। इस दौरान बाहर से आए कुलपतियों का व्याख्यान होगा। दूसरे तकनीकी सत्र का समय शाम 4.45 से 6.15 बजे तक होगा। इस दौरान उद्यमिता एवं नवाचार:विचार से प्रभाव तक” विषय पर बाहर से आए कुलपति व्याख्यान देंगे।
सम्मलेन के दूसरे दिन सुबह 10.30 से दोपहर 12 बजे तक चलेगा। तृतीय तकनीकी सत्र “अनुसंधान के लिए नवीन अनुदान माडल”विषय पर आयोजित पर केन्द्रित रहेगा।