भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी है। इसके लिए दिग्गज नेताओं को क्लस्टर प्रभारी भी बना दिया गया है। राज्य का विंध्य वह इलाका है जहां भाजपा का नए चेहरों पर जोर रहने वाला है। इसकी वजह है दो सांसदों का विधानसभा चुनाव लड़ना।
राज्य में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं जिनमें से चार सीटें विंध्य क्षेत्र में है। इस क्षेत्र का क्लस्टर प्रभारी राज्य के उपमुख्यमंत्री और ब्राह्मण चेहरा राजेंद्र शुक्ला को बनाया गया है। शुक्ला का इस इलाके से गहरा नाता है और वह रीवा जिले से विधायक भी अरसे से चुने जा रहे हैं। विंध्य क्षेत्र की चारों लोकसभा संसदीय सीटों रीवा, सतना, सीधी और शहडोल पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा के लिए इस इलाके का अगला चुनाव काफी अहम है, क्योंकि पार्टी ने सीधी की सांसद रही रीति पाठक को विधानसभा चुनाव लड़ाया और वह जीत गई।
वहीं सतना से सांसद गणेश सिंह को विधानसभा में मैदान में उतारा, मगर हार उनके खाते में आई। इस इलाके की रीवा लोकसभा सीट पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि यहां अब तक कुल 17 चुनाव हुए हैं इनमें से सात बार भाजपा जीती है तो वहीं छह बार कांग्रेस को जीतने का अवसर मिला है। इसके अलावा, दो बार निर्दलीय चुनाव जीते तो वही दो बार बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार जीता। यहां से सबसे ज्यादा नौ बार ब्राह्मण उम्मीदवार के खाते में जीत आई है। इस संसदीय सीट को ब्राह्मण बाहुल्य सीट माना जाता है।
बात हम सतना संसदीय सीट की करें तो यह सीट पिछड़े वर्ग की मानी जाती है। यहां अब तक कुल 15 चुनाव हुए हैं, जिनमें से सात बार पिछले वर्ग के व्यक्ति ने जीत की जिसमें छह बार भाजपा और एक बार कांग्रेस का उम्मीदवार जीता जबकि दो बार अल्पसंख्यकों के खाते में जीत आई।
इस संसदीय क्षेत्र में 45 फ़ीसदी से ज्यादा पिछड़े वर्ग की आबादी है। यहां से गणेश सिंह वर्तमान में सांसद हैं, मगर वे विधानसभा का चुनाव हार गए। ऐसे में पार्टी नए चेहरे की तलाश में है।
बात सीधी संसदीय क्षेत्र की करें तो यहां कुल 18 चुनाव हुए जिनमें से छह बार कांग्रेस को जीत मिली जबकि भाजपा को नौ बार जीत मिली। यह संसदीय सीट ब्राह्मण और क्षत्रिय वर्ग के प्रभाव वाली मानी जाती है। यही कारण रहा कि इन वर्गों के 17 उम्मीदवार चुनाव जीते। यहां से सांसद रही रीति पाठक विधानसभा का चुनाव जीत गई हैं, लिहाजा यहां नया चेहरा मैदान में होगा ही।
बात शहडोल संसदीय क्षेत्र की करें तो यह अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है और यहां इस वर्ग का खासा प्रभाव भी है। यहां से वर्तमान में बीजेपी की सांसद हिमाद्री सिंह हैं। इस क्षेत्र के बीते 10 चुनाव पर गौर करें तो पता चलता है कि दो बार कांग्रेस के खाते में जीत आई तो बाकी आठ बार बीजेपी का व्यक्ति निर्वाचित हुआ।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विंध्य भाजपा का मजबूत गढ़ है और विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने यहां बड़ी बढत हासिल की है। इन स्थितियों में पार्टी का सबसे ज्यादा जोर दो सीटों पर रहने वाला है और वह है सीधी व सतना। सीधी की सांसद अब विधायक बन गई हैं और सतना के सांसद को विधानसभा का चुनाव हारना पड़ा है। सीधी जहां ब्राह्मण क्षत्रिय प्रभाव की सीट है तो वहीं सतना पिछड़े वर्ग की। पार्टी अगर विंध्य क्षेत्र की सीटों पर सक्षम और जातीय गणित को ध्यान में रखकर उम्मीदवार मैदान में उतारती है तो राह बहुत आसान हो सकती है। इसकी वजह भी है क्योंकि विंध्य जातीय राजनीति का केंद्र है। यह पिछड़े वर्ग की राजनीति का असर है और यह इलाका उत्तर प्रदेश से भी सटा हुआ है।