Diet in pregnancy/साओ पाउलो। एक शोध में यह बात सामने आई है कि गर्भावस्था के दौरान कुपोषित महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों को वयस्कता में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है।
पहले अध्ययन में ब्राजील में साओ पाउलो स्टेट यूनिवर्सिटी (यूएनईएसपी) के शोधकर्ताओं ने जीन अभिव्यक्ति में बदलाव का पता लगाया जो चूहों की संतानों में देखे गए हार्मोन असंतुलन और प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते खतरे से जुड़ा हो सकता है।
Diet in pregnancy/बोटुकातु इंस्टीट्यूट ऑफ बायोसाइंसेज (आईबीबी-यूएनईएसपी) के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता लुइस एंटोनियो जस्टुलिन जूनियर ने कहा, ”गर्भधारण और स्तनपान के दौरान प्रोटीन की कमी प्रोस्टेट के सामान्य विकास में शामिल मार्गों (मॉलिक्यूल पाथवे) को निष्क्रिय कर देती है, जिससे युवा संतानों में इसके विकास में बाधा आती है।”
जस्टुलिन ने कहा, “अब हमने पाया है कि भ्रूण चरण के दौरान और जन्म के बाद पहले दो वर्षों में प्रोटीन-रहित आहार संतानों में 700 से अधिक जीनों की अभिव्यक्ति को बदल देता है, जिसमें जीन ‘एबीसीजी वन’ भी शामिल हैं, जो प्रोस्टेट कैंसर से जुड़ा है।”
Diet in pregnancy/दूसरे अध्ययन में दिखाया गया कि आरएनए (माइक्रोआरएनए-206) का नियंत्रण हार्मोन एस्ट्रोजन में प्रारंभिक जीवन वृद्धि से जुड़ा था। इसमें गर्भधारण और स्तनपान के दौरान मादा और बच्चों को बिना प्रोटीन वाला आहार दिया गया, जो कि प्रोस्टेट कैंसर के एक कारक के रूप में सामने आया।
परिणामों ने एक बार फिर दिखाया कि विकास के शुरुआती चरणों में कितना आहार और बाकी सब कुछ संतानों में स्वास्थ्य और बीमारी को निर्धारित करता है। जीवन के पहले 1,000 दिनों की हमारी समझ में उनका अहम योगदान था, जिसमें गर्भावस्था, स्तनपान और शैशवावस्था से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक की अवधि शामिल थी। यह निष्कर्ष साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
मातृ स्वास्थ्य और संतानों के विकास के बीच संबंधों पर शोध हाल के दशकों में काफी आगे बढ़ा है।
इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि भ्रूण चरण के दौरान और जन्म के बाद पहले दो वर्षों में अपर्याप्त जीन पर्यावरण संपर्क कैंसर, मधुमेह, दीर्घकालिक श्वसन विकार और हृदय रोग जैसे रोगों (एनसीसीडी) के आजीवन जोखिम को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।