( गिरिजेय )लोकसभा चुनाव का माहौल है। लेकिन बीच में होली भी आ गई। होली की खुमारी उतर नहीं पाई थी कि कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट आने के बाद एक बार फिर चुनावी हलचल शुरू हो गई है। कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा सीट से भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है।
वे पहले ऐसे कांग्रेस विधायक हैं ,जो बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। उनकी उम्मीदवारी से छत्तीसगढ़ और बिलासपुर इलाके में यादव समाज को प्रतिनिधित्व देने की पुरानी मांग पूरी हुई है । साथ ही कांग्रेस के अंदर भूपेश बघेल की पसंद से बिलासपुर को उम्मीदवार मिला है।
बिलासपुर लोकसभा सीट में 1991 का चुनाव आखिरी चुनाव था ,जब यहां से कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी। उस समय बिलासपुर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट थी और कांग्रेस की टिकट पर डॉ.खेलन राम जांगड़े चुनाव जीते थे। इसके बाद हुए किसी चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई।
बिलासपुर सीट से बीजेपी की टिकट पर पुन्नू लाल मोहले लगातार सांसद चुनकर गए। पुन्नू लाल मोहल्ले को 1996 में जब बीजेपी ने बिलासपुर लोकसभा सीट का उम्मीदवार पहली बार बनाया तब वे जरहा गांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक थे। विधायक रहते हुए उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की ।
2009 के चुनाव के समय परिसीमन में बिलासपुर सीट सामान्य हो गई। उसके बाद भी यहां भाजपा का दबदबा बरकरार रहा। इस सीट से भाजपा की टिकट पर भाजपा के जननेता दिलीप सिंह जूदेव चुनाव जीत कर गए ।
2014 में लखन साहू और 2019 में अरुण साव बिलासपुर सीट से चुनाव जीते । इस बार बीजेपी ने लोरमी के पूर्व विधायक तोखन साहू को बिलासपुर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है ।इस तरह लगातार तीसरी बार बीजेपी ने साहू समाज को प्रतिनिधित्व का मौका दिया है।
दूसरी तरफ कांग्रेस उम्मीदवार के नाम का इंतजार लंबे समय से हो रहा था । होली के ठीक दूसरे दिन मंगलवार की शाम उम्मीदवारों की सूची आई तो भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की का नाम सामने आया। अब इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि कांग्रेस के इस दांव का क्या असर हो सकता है। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीट में से एक बिलासपुर की सीट से यादव समाज को प्रतिनिधित्व का मौका दिया है।
जानकारी मिली है कि बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में यादव समाज के मतदाताओं की संख्या करीब पौने दो लाख के आसपास है। इस इलाके से यादव समाज को प्रतिनिधित्व की मांग काफी पहले से उठती रही है। कांग्रेस ने इस समाज को प्रतिनिधित्व देकर प्रदेश के दूसरे लोकसभा क्षेत्र क्षेत्र में यादव समाज को जोड़ने की कोशिश की है।
जहां तक बिलासपुर लोकसभा सीट की टिकट को लेकर कांग्रेस के अंदर चली जोर आजमाइश का सवाल है इस बारे में जो खबरें सामने आ रही है ,उससे लगता है कि बिलासपुर सीट से नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत और उनके साथ कांग्रेस के सह प्रभारी चंदन यादव ने विष्णु यादव का नाम आगे किया था।
दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने करीबी भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव का नाम आगे बढाया। बताते हैं राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल रहकर देवेंद्र यादव हाल ही में केंद्रीय नेतृत्व के भी काफी नजदीक आ गए हैं। ऐसे में उनके नाम पर सहमति बन सकी।
इस गणित के हिसाब से बिलासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के नाम को लेकर चल रही रस्ताकशी का एक मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि कांग्रेस के अंदर बड़े नेताओं के बीच खेमेबाजी और खींचतान के चलते ऐसी स्थिति बनी। यदि इसे सच मान जाए तो देवेंद्र यादव का नाम सामने आने के बाद लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खेमे ने अपनी पसंद का उम्मीदवार उतारने में कामयाबी हासिल कर ली है। बहरहाल गुटीय और जातीय समीकरण का कितना फायदा कांग्रेस को मिल पाएगा यह आने वाले चुनाव में ही पता लग सकेगा।।