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जग्गी हत्याकांड के 27 दोषियों की उम्रकैद बरकरार:छत्तीसगढ़ HC ने खारिज की अपील

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में NCP नेता रामावतार जग्गी मर्डर केस के 27 दोषियों की अपील को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।

डिवीजन बेंच ने बीती 29 फरवरी को रामावतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों की अपील पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर गुरुवार को आदेश जारी किया गया है। उम्रकैद की सजा पाने वालों में 2 तत्कालीन CSP और एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा रायपुर मेयर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर और शूटर चिमन सिंह शामिल हैं।4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे। जिनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा मिली थी। हालांकि बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे।

रामअवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अमित जोगी को बरी करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिस पर अमित के पक्ष में स्टे है।इधर, हाईकोर्ट में अपील पर रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी के अमित जोगी की दोषमुक्ति के खिलाफ पेश क्रिमिनल अपील पर उनके अधिवक्ता बीपी शर्मा ने तर्क दिया और बताया कि हत्याकांड की साजिश तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित थी।

जब CBI की जांच शुरू हुई, तब सरकार के प्रभाव में सारे सबूतों को मिटा दिया गया था। ऐसे केस में सबूत अहम नहीं हैं, बल्कि षड्यंत्र का पर्दाफाश जरूरी है। लिहाजा, इस केस के आरोपियों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त नहीं किया जा सकता।अभियुक्तों की तरफ से उनके वकीलों ने बहस की। उन्होंने हत्याकांड में पर्याप्त सबूत के बिना सजा देने की बात कही। वहीं, CBI की ओर से दलील दी गई और बताया गया कि किस आधार पर हत्याकांड की जांच कर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी।

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अहम फैसला देते हुए आरोपियों की अपील खारिज कर दी। इस फैसले के बाद जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

जग्गी हत्याकांड में दोषी अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर की ओर से अपील की गई थी।

रामावतार जग्गी हत्याकांड का मुख्य आरोपी याहया ढेबर रायपुर ढेबर बंधुओं में से एक है। पांच भाइयों में एजाज ढेबर रायपुर के मौजूदा मेयर हैं। वहीं, एक भाई अनवर ढेबर शराब कारोबारी है। छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला केस में ED ने उसे 6 मई 2023 को गिरफ्तार किया था, हालांकि बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने कहा कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पिता की आत्मा और जग्गी परिवार को सुकून मिला है। सतीश जग्गी ने कहा कि अमित को सजा दिलवाने के लिए कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।

पहले जांच एजेंसियों ने अमित को मुख्य साजिशकर्ता बताया था। जग्गी की हत्या 2003 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रायपुर के मौदहापारा इलाके में गोली मारकर की गई थी।

कारोबारी बैकग्राउंड वाले रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। शुक्ल जब कांग्रेस छोड़कर NCP में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बना दिया।

छत्तीसगढ़ अलग प्रदेश बना तब विधानसभा में कांग्रेस का बहुमत था। कांग्रेस की ओर से सीएम पद की रेस में विद्याचरण शुक्ल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन आलाकमान ने अचानक अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। इस वजह से पहले नाराज चल रहे विद्याचरण पार्टी में अपनी अनदेखी से और ज्यादा नाराज हो गए।नवंबर 2003 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर NCP जॉइन कर ली। NCP के बढ़ते दायरे से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होने का डर सताने लगा। जग्गी की हत्या से कुछ दिन पहले ही NCP की बड़ी रैली होने वाली थी, जिसमें शरद पवार समेत पार्टी के कई बड़े नेता आने वाले थे।

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