CG NEWS:रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का नवाचार जमीनी हकीकत से जुदा कागजों में हमेशा सुखियों में रहता है लेकिन यह छात्रों, पालकों और शिक्षकों पर हमेशा भारी पड़ता रहा है। कोरोना काल का नवाचार एक बड़ा उदाहरण है कि गांव के बहुत से छात्र आज मोबाइल मेनिया से ग्रसित हो गए है। इसी नवाचार की कीमत कुछ शिक्षको को जान देकर भी चुकानी पड़ी है।अब विभाग का नवाचार सामाजिक संबंधों पारिवारिक दायित्व को भी प्रभावित कर रहा है..!
कभी खराब परीक्षा परिणाम के नाम पर जिले के कलेक्टरो की ओर से विद्यार्थियों के लिए एक्स्ट्रा क्लास लगाई जाती रही है.। तो अब समर कैंप के नाम पर शिक्षकों और छात्रों को स्कूल पहुंचने का निर्देश दिया जा रहा है। विभाग की योजना शाही पुलाव बनाने की रहती है ।
लेकिन विकासखंड और संकुल स्तर तक आते-आते यह योजना बिना दाल वाली खिचड़ी की हो जाती है। समर कैंप के नाम पर जारी नवाचार का स्वैच्छिक आदेश अब मौखिक रूप में अनिवार्य होता जा रहा है। शिक्षको को स्कूल में समर कैंप की फोटो छात्रों सहित भेजने को कहा जा रहा है। कुछ जगहों पर ऐसा नहीं करने पर वसूली की बाते सुनाई दे रही है।
मालूम हो कि गर्मी की छुट्टियों का इंतजार शिक्षक पालक और छात्र तीनों करते है। बहुत से शिक्षक जो अपने निवास क्षेत्र से दूर सेवा देते हैं वह अपने घर की ओर जाते हैं। बहुत से शिक्षक गर्मी की छुट्टियों में अपने परिवार के साथ कहीं बाहर पर्यटन के लिए घूमने जाते हैं। बहुत से छात्र गर्मियों की छुट्टी में ननिहाल या रिश्ते नातेदारी में जाते आते है। या फिर परिवार के साथ घूमने जाते है।
छुट्टियों के दौरान बच्चे वह सब कर सकते हैं जिसमें उनकी इच्छा होती है। यह ऐसा अवसर है जब छात्र छुट्टियों में अपने माता-पिता, भाइयों और बहनों के साथ रहने का आनंद लेते हैं। गर्मी की छुट्टियाँ छात्रों के जीवन में सबसे सुखद महीने होते है।इस दौरान स्कूल जाने से कुछ दिनों के लिए उन्हें थोड़ा आराम मिलता है।
स्कूलों की परीक्षा खत्म होने के बाद या रिजल्ट आने के बाद छात्र थकावट महसूस करते हैं पढ़ाई में रुचि नहीं रखते हैं, इसलिए उन्हें पढ़ाई के एक लंबे वर्ष के बाद अपने स्वास्थ्य और व्यवहार्यता में सुधार के लिए आराम की जरूरत भी होती है।कुछ समय स्कूल से दूर रहना चाहते है।यह ऐसा समय होता है जब छात्रों और शिक्षको को भी कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। इसलिए हर कोई इसे यादगार बनाने की कोशिश करता है।इस छुट्टी को यादगार बनाने प्लानिंग साल भर से होती है।
लेकिन इस साल हुआ कुछ और भी नया स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्रालय और संचालनालय की ओर से जारी नवाचार के स्वैच्छिक आदेश जिला से लेकर विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय आते आते अनिवार्य हो गए ..! गर्मी की छुट्टियों में छात्रों के लिए समर कैंप जन सहयोग से आयोजित करने का निर्णय विभाग की ओर से लिया गया। यह कैंप सुबह 7 से 9.30 बजे आयोजित हो रहा है यह पूर्णत स्वैच्छिक बताया गया था। पर अब मौखिक रूप में अनिवार्य हो गया है।
मालूम हो कि बीते दिनों स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिध्दार्थ कोमल सिंह परदेशी ने सभी जिलों के कलेक्टर को जारी किए गए निर्देश में कहा था कि 15 जून तक विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रभावी होगा। इस दौरान छात्र-छात्राओं को रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न कर उनमें बहुमुखी कौशल का विकास किया जा सकता है। रचनात्मक गतिविधियों में छात्र-छात्राओं के पालक एवं उनके शिक्षकों का मार्गदर्शन सहयोगी हो सकता है। अतः छात्र-छात्राओं के लिए स्कूलों में अथवा गांव शहर के सामुदायिक भवनों में समर कैंप का आयोजन किया जाए। इस कैंप में रचनात्मक क्षेत्र के विशेषज्ञ को आमंत्रित कर उनसे मार्गदर्शन प्रशिक्षण दिलाया जा सकता है। इसमें पालक व शाला विकास समितियां का भी सहयोग लिया जा सकता है।
श्री परदेशी ने निर्देश दिया था कि समर कैंप में चित्रकला, गायन, वादन, निबंध, कहानी-लेखन, हस्तलिपि-लेखन, नृत्य, खेल-कूद, अपने गांव शहर का ऐतिहासिक परिचय आदि गतिविधियां आयोजित की जा सकती है। इन गतिविधि के अलावा अन्य रचनात्मक गतिविधि का भी चयन किया जा सकता है।
स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि इस कार्य के लिए कोई भी बजट देय नहीं होगा। जिले अपने उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर इस कार्यक्रम को सफल बनाएंगे। श्री परदेशी ने कहा कि ग्रीष्म कालीन अवकाश को बच्चों के सीखने के लिए अवसर के रूप में प्रयुक्त किया जाए।