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CG NEWS:पुरानी पेंशन योजनाः हक़ की लड़ाई के लिए शिक्षक एलबी संवर्ग मोर्चा बनाने की तैयारी में

CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) । छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन लागू हो चुकी है। लेकिन कर्मचारी वर्ग में पेंशन को लेकर कई विसंगतियां है जिसके निदान के लिए राज्य की सरकारें गंभीर नहीं रही है। वही हाल केंद्र की सरकार का भी रहा है।इसी अनदेखी से आहत शिक्षक एलबी संवर्ग अब एक नए संघर्ष की ओर निकल पड़ा है।  पुरानी सेवा की गणना की मांग को लेकर न्यायलीन स्तर पर हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रदेश में एलबी शिक्षक संवर्ग पुरानी सेवा मोर्चा के रूप में एकजुट हो रहे है।

अपुष्ट रूप से मिल रही जानकारी के मुताबिक शिक्षक एलबी संवर्ग में पुरानी सेवा की गणना को लेकर एक मोर्चे का विचार विधानसभा चुनाव के पूर्व शिक्षक नेताओं के बीच चर्चा में लाया गया था। वह अब मूर्त रूप में आ गया है..! इस मोर्चे की विधिवत घोषणा आचार संहिता खत्म होने के बाद की जानी प्रस्तावित की गई। मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रादेशिक शिक्षक नेता कौशल अवस्थी और रंजीत बनर्जी के नेतृत्व में इस मोर्चे का गठन किया जाने वाला है।जिसमे कुछ शिक्षक संघ के बहुत से आम शिक्षक जुटने वाले है। जिसकी बैठक जून महीने के दूसरे पखवाड़े में न्यायधनी बिलासपुर में प्रस्तावित होनी है।

विषय और नीति नियम के जानकार कई आंदोलनो में नेतृत्व कर चुके शिक्षक नेता रंजीत बनर्जी और कौशल अवस्थी से हुई एक आम सी बातचीत में न्यायलीय लड़ाई का सूत्र कुछ ऐसा समाने आया है कि शिक्षक संवर्ग करीब 1997-98 से सेवा दे रहा है। यह वर्ग 2012 से एनपीएस के दायरे में आया है..। 2018 में पंचायत विभाग से स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित कर्मचारी के रूप में संविलियन हुआ.! 2022 में लागू ओल्ड पेंशन का लाभ इस वर्ग को भी मिला..।लेकिन पैंशन का लाभ संविलियन 2018 से मना जा रहा है..!

अब एनपीएस पर ब्रेक लग चुका है। वही एनपीएस ब्रेक होने पर भी कई इसके नियमों के पेंच अलग है। सवाल उठ रहा है कि शिक्षक को 2018 से 2012 के बीच के एनपीएस में जमा राशि का हिसाब किताब का क्या होगा ..?
शिक्षको की सेवा 2018 से तो एनपीएस की राशि पर 2012 से 2018 तक शिक्षको को ही हक होगा ऐसे में OPS के लिए 2018 के पूर्व की राशि वापस किस आधार पर होगी..। सेवा 2018 से मानी गई तो छह साल के पैसे पर हक किसका होगा..! ऐसी स्थिति में शिक्षको की सेवा की गणना 2012 से माने जाने के रास्ते बन सकते है ..? इसके लिए सरकार राजी होगी या कोर्ट का ही सहारा होगा। ऐसे कई कड़िया जुड़ती हुई दिखाई दे रही है जो सेवा को व्यवहारिक रूप से छह साल पीछे खींच सकती है..!

यही वजह है कि इस बार ठोस नतीजे की आस में शिक्षक नेता कौशल अवस्थी और रंजीत बनर्जी सहित प्रदेश के कई नीति नियमों के जानकार शिक्षक नेता नए सिरे नई रणनीति के साथ शिक्षको की अन्य कई मांगो और समस्याओं के अलावा इस मुद्दे पर आचार संहिता खत्म होने के बाद बिलासपुर में आगे की बड़ी रणनीति बनाने में जुटने वाले है।

शिक्षाकर्मी से नियमित शिक्षक बनने की कहानी का सार कुछ ऐसा है कि अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान कांग्रेस की दिग्विजय सिंह की सरकार के कार्यकाल के दौरान शिक्षक संवर्ग करीब 1997-98 से शिक्षा कर्मी के रूप में प्रचलन में आया था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भाजपा की डा. रमन सिंह की सरकार के कार्यकाल में इस संवर्ग में पद नाम में शिक्षक पंचायत के रूप में प्रचलन में आया । एक बड़े आंदोलन के बाद इस संवर्ग को तत्कालीन भाजपा सरकार ने राहत देते हुए। इस शिक्षक पंचायत संवर्ग को एनपीएस के दायरे में लाया। जो करीब एक अप्रैल 2012 से काटना शुरू हुआ जिसमे शिक्षक पंचायत का अंश दान और शासन का अंशदान एनपीएस में जमा होना शुरू हुआ।करीब डेढ़ लाख से अधिक शिक्षक एलबी संवर्ग पंचायत विभाग के कर्मी हुआ करते थे। आठ साल की सेवा पूरी करने पर इनका संविलीयन 2018 में डा. रमन सिंह की सरकार के कार्यकाल में कुछ नियम शर्तो के साथ हुआ। शिक्षक की सेवा 2018 स्कूल शिक्षा विभाग में 2018 से मानी गई। कॉग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार के कार्यकाल में 2022 में प्रदेश के सभी शासकीय कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन की घोषणा कर इसे लागू की गई। यही से शिक्षक एलबी संवर्ग के एक बड़े वर्ग के लिए समस्या शुरू हो गई। क्योंकि शिक्षक एलबी संबंध बीते कई सालों से अपनी बहुत सी पुरानी मांगों को लेकर जूझ रहा है और संघर्ष कर रहा है कई विसंगतियां इस संवर्ग में है वे भी विसंगतियां इनके लिए महत्वपूर्ण है । लेकिन पुरानी सेवा की गणना भी महत्वपूर्ण हो जाती  ।क्योंकि बहुत से शिक्षक साल दो साल में रिटायर हो जाएंगे ऐसे में यदि उनकी पुरानी सेवा गिनी जाती है तो उसका लाभ सभी शिक्षकों को मिलेगा ।

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