बिलासापुर— तहसील प्रशासन ने सेमरताल कोटवार को कोटवारी जमीन बेचने के जुर्म में बर्खास्त कर दिया है। नामांतरण रद्द कर जमीन शासन के हवाले किए जाने का आदेश भी दिया है। इसके पहले मामले में कोटवार और क्रेेता को तहसील प्रशासन ने सुनवाई का मौका दिया। जांच पड़ताल के साथ जवाब संतोषप्रद पेश नही किए जाने पर तहसील प्रशासन ने रजिस्ट्री और नामांतरण रद्द कर कोटवार को पद से हटा दिया है।
तहसील प्रशासन ने लम्बी सुनवाई के बाद सेमरताल स्थित कोटवारी जमीन बेचने के जुर्म में कोटवार परमेश्वर दास मानिकपुरी को बर्खास्त किया है। तहसील प्रशासन ने बताया कि परमेश्वार दास मानिकपुरी ने कोटवार रहते ग्राम नौकर यानी कोटवारी जमीन यानी शासकीय जमीन को बेच दिया। मामले में स्थानीय सरपंच ने शिकायत दर्ज कराया।
प्राथमिक जांच में पाया गया कि कोटवार ने अपनी निजी जमीन को बेचा है। दुबारा शिकायत पर तमाम गवाह और स्थानीय सरपंच की मांग पर दस्तावेजों को खंगाला गया। मिसल और इसके अतिरिक्त अन्य जरूरी दस्तावेजों को भी देखा गया। इस दौरान पाया गया कि कोटवार परमेश्वर दास मानिकपुरी ने कोटवार रहते हुए सेमरताल स्थित कोटवारी जमीन खसरा नम्बर 532 और 553 की बिक्री सेमरताल निवासी पुरूषोत्तम प्रसाद साहू को किया है।
यद्यपि कोटवार ने अपने जवाब में बताया कि रजिस्ट्री के समय गलत खसरा नम्बर चढ़ाया गया। उसने कोटवारी से लगी अपनी निजी जमीन का सौदा किया है। लेकिन सुनवाई के दौरान परमेश्वर ने संतोषप्रद जवाब पेश नहीं किया। तहसील प्रशासन ने नियमों के तहत कोटवारी जमीन की रजिस्ट्री को ना केवल निरस्त किया बल्कि नामांतरण भी निरस्त कर दिया। इसके अलावा परमेश्वरदास मानिकपुरी को सेवा से बर्खास्त भी कर दिया है।
बताते चलें कि पिछले कई महीनों से सरकारी जमीन धोखाधड़ी मामले में सरकार के निर्देश पर जिला राजस्व प्रशासन कई मामलों में जांच पड़ताल कर रही है। जिसके चलते जमीन मााफियों के होश उड़ हुए है। ऐसा ही एक मामला मोपका हल्का स्थित खसरा नम्बर 992 का भी है। जांच पड़ताल हो चुकी है। इसी क्रम में सेमरताल स्थित कोटवारी जमीन की बिक्री का भी मामला सामने आया। तहसील प्रशासन ने चुस्ती दिखाते हुए मामले की सूुनवाई कर सख्त आदेश दिया है।