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Gupt Navratri: गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की तंत्र साधना का विधान, शक्ति की उपासना करने वाले साधक ऐसे करें पूजा… जानिए विशेष तिथि

शिखिल ब्यौहार, भोपाल। Gupt Navratri: साधना, जप-तप, विशेष अनुष्ठान, स्थान, ध्यान के साथ अभिचार के लिए जुलाई 2024 में भरपूर तिथि हैं। वैष्णव, शाक्त और शैव संप्रदाय से जुड़े साधक व भक्तों के लिए यह माह बड़े महत्व का होगा। जुलाई माह में विशेष अनुष्ठानों, दश महाविद्या, गुप्त पुजा समेत शाक्त तंत्र के लिए गुप्त नवरात्रि (आषाढ़) शुरू होने जा रही हैं। इसके अलावा विशेष महत्व की तीन एकादशी के साथ आषाढ़ी अमावस्या के अनुष्ठान भी इसी माह में होंगे। वर्ष में एक बार आने वाली गुरु पूर्णिमा और दिनबंधु दीनानाथ भगवान महादेव का अति पवित्र श्रावण मास भी जुलाई से शुरू होगा।

06 जुलाई से गुप्त नवरात्रि आरंभ, जानिए क्या है महत्व

शाक्त मतलब शक्ति की उपासना करने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) विशेष महत्व की होती है। आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि 06 जुलाई दिन शनिवार से शुरू होगी। शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा (प्रथमा, पक्ष का पहला दिन) से शक्ति के विशेष अनुष्ठान की शुरुआत होगी। गुप्त नवरात्रि की अष्टमी 14 जुलाई, दिन रविवार को मनाई जाएगी। गुप्त नवरात्रि का समापन 15 जुलाई, दिन सोमवार को होगा। एक वर्ष में दो गुप्त नवरात्रि पड़ती हैं। एक आषाढ़ तो दूसरी माघ माह में मनाई जाती हैं। इस प्रकार वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि तिथि आती है। गुप्त नवरात्रि में शाक्त तंत्र का विशेष महत्व होता है। सिद्धि, विशेष अनुष्ठान, गुप्त पुजाओं के लिए गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। योगनी सिद्ध के अलावा भैरव साधना के लिए भी गुप्त नवरात्रि विशेष मानी जाती हैं।

गुप्त नवरात्रि में दश महाविद्या की होती है तंत्र साधना

आदि शक्ति मां के कई रूप हैं। इसमें दश महाविद्या के रूप में भी शक्ति की पूजा की जाती है। जैसा की नाम से ही समझा जा सकता है कि यह विद्या है। इनकी पद्धति, उपासना, यंत्र, तंत्र, पूजन, विधि, मुद्रा सब न सिर्फ अलग-अलग होता है, बल्कि इसे अति विशिष्ठ की श्रेणी में माना जाता है। पहली महाविद्या के रूप में काली की उपासना की जाती है। काली को श्मशानविहारणी कहा जाता है। मातेश्वरी मां काली बेहद उग्र और घोर साधना में आते हैं। इसके अलावा मां तारा की उपासना भी अति उग्र और घोर मानी जाती है। माता तारा का निवास भी श्मशान के साथ चिता है। गुरु आदेश और गुरुकुल की परंपरा के अनुसार ही इनकी उपासना संभव है। इसके अलावा माता छिन्नमस्ता की उपासना भी उग्र और घोर मानी जाती है। दश महाविद्याओं में सर्वश्री माता काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी (राजराजेश्वरी), भुवनेश्वरी, भैरवी , छिन्नमस्ता, धूमावती , बगलामुखी , मातंगी और कमला की अति गुप्त पूजा की जाती है। दश महाविद्या में मां धूमावती की उपासना भी अति घोर है। माता धूमावती विधवा रुपेण हैं।

जुलाई माह की विशेष तिथि

– गुप्त नवरात्रि – 06 जुलाई से 15 जुलाई तक।

– गुरु पूर्णिमा – 21 जुलाई।

– श्रावण माह की शुरुआत- 22 जुलाई।

– अमावस्या- 05 जुलाई।

– प्रदोष- 03 जुलाई और 18 जुलाई

– तीन एकादशी-

02 जुलाई को योगनी एकादशी।

17 जुलाई को देवशयनी एकादशी।

31 जुलाई को कामिका एकादशी।

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