Transfer news :रायपुर। गलतफहमी और उससे उपजी अफवाह तथ्यो और तर्कों से परे रहती है।इसका कोई ओर छोर नही होता है। ऐसी ही अफवाह फिर से स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादले को लेकर फैली हुई। पहले कयास लगाए गए थे कि आचार संहिता खत्म होने के बाद शिक्षको के तबादले समन्वय से बड़े पैमाने पर होने वाले है।फिर अचार संहिता हट गई।
अब स्कूल शिक्षा मंत्री हट कर पदोन्नत गए और शिक्षको के ट्रांसफर की अफवाह गलत साबित हुई। अब स्कूल शिक्षा विभाग का कोई पूर्ण कालिक मंत्री भी नही है। विभाग की कमान फिलहाल मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के तरकश में है। जो शिक्षको के बड़े पैमाने पर समन्वय से तबादले पर आसानी से निर्णय ले सकते है। लेकिन वो ऐसा आखिर करेंगे क्यों….?
सियासत पर पैनी नजर रखने वाले जानकार मानते हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस और राजस्व ऐसे विभाग है जो तबादलों को लेकर चर्चित रहते हैं। इसमें शिक्षा विभाग का संवर्ग अपने हक और अधिकार के लिए लड़ना और प्रपंच करना अच्छी तरह जानता है। न्यायालय की शरण के उदाहरण भरे पड़े है। इसके बाद भी अगर ऐसी सूरत में चोरी छिपे अगर अभी बड़े पैमाने में तबादले हुए तो बैठे बिठाये विपक्ष को इस बड़े मुद्दे के साथ शिक्षको का साथ भी मिल जायेगा। सरकार को जवाब दो मोर्चे पर देना होगा ..!
वही दूसरी ओर समय का पहिया घूम कर वापस उसी जगह आ जाएगा जहां पर कभी पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम खड़े थे इसी दौर में उनके अधीनस्थ चर्चित अधिकारी भी सत्ता और विपक्ष के निशाने पर थे ..! उनके मंत्री पद के जाने के पीछे एक बड़ी वजह स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले, पदोन्नति की किच किच भी थी .!
ऐसे में अब भाजपा सरकार और इसके रणनीतिकार बिना नीति रीति के प्रदेश के मुखिया को समाने रख कर बिन मौसम बड़े पैमाने में तबादले का जोखिम क्यों लेंगे ….? सबको पता है कि अभी शिक्षको का तबादला करना गर्म तवे पर हाथ डालने जैसा है।फिर तबादलों से सरकार और पार्टी को कोई लाभ भी नही है ..!
जानकार कहते है कि आखिर ऐसा कौन सा पहाड़ टूट गया जो सिर्फ शिक्षको का तबादला बड़े पैमाने पर समन्वय से करने की जरूरत सरकार या विभाग को आन पड़ी हो…। ऐसी कोई मजबूरी भी नहीं कि शासन ने इसके लिए शिक्षको से आवेदन मांगे हो या वादा किया हो ..। ऐसा भी नही कि आम शिक्षकों के तबादलों से सियासत और शासन के संचालन में कोई दिक्कत आ रही हो । फिर बैठे बिठाये कोई क्यों लेनदेन की कथित अनियमितता को अपने ऊपर लेगा। उनका तर्क यह भी है कि जब नई ट्रांसफर नीति बनेगी तो जिले के प्रभारी मंत्री की अनुशंसा और स्थानीय कार्यकर्ताओं को तवज्जो देते हुए आम शिक्षको को पर्याप्त अवसर दिया जाएगा तो कथित अनियमितता की बाते ही नही होगी।
इसलिए शिक्षको के तबादले की अफवाहों से फैली गलतफहमी पर स्कूल शिक्षा विभाग में नए मंत्री के प्रभार लेने और शासन की तबादला नीति आते तक तो फिलहाल रोक लगाती हुई दिखाई दे रही है इस अफवाह पर बीते दिनों मीडिया रिपोर्ट्स में स्कूल शिक्षा विभाग के एक बड़े अधिकारी का बयान चर्चा में आया था जिसमें उन्होंने कहा की ट्रांसफर को लेकर अभी कोई फाइल हमारे तक पहुंची ही नहीं है। मतलब विभाग के अधिकारी भी विवादित मामलों से पल्ला झाड़ने लगे है।कुल मिला कर बाते सिर्फ अफवाहों तक ही सीमित है।जिससे सिर्फ छह महीने पुरानी सरकार की इस मामले में फजीहत अलग हो रही है।
इस तरह कि अफवाहों से शिक्षक नेताओं को भी बड़ी तकलीफ हो रही है क्योंकि उन्हें भी नही मालूम शिक्षको का तबादला बड़े पैमाने में कैसे हो सकता है या होने वाला है। उन्हे अब आम शिक्षको को जवाब देते नही बन रहा है। अब ये लोग सरकार से उम्मीद जताए बैठे हैं कि पुराना कल्चर खत्म होगा । जब भी शासन की तबादला नीति आएगी तब तबादले कि चाह रखने वाले सभी आम शिक्षकों को अवसर देते हुए पारदर्शिता के शिक्षको के तबादले होंगे।