बिलासपुर— प्रायवेट स्कूलों की फर्जीवाड़ा के खिलाफ एनएसयूआई का विरोध दिनों दिन बढता ही जा रहा है। लेकिन एनएसयूआई की शिकायतों का जिला शिक्षा अधिकारी पर बहुत ज्यादा असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। बावजूद इसके एनएसयूआई के नेताओ ने एक बार नई शिकायत के साथ सोमवार को जिला शिक्षा कार्यालय का घेराव किया। डीईओ ने भी हर बार की तरह इस बार भी रटा रटाया जवाब दिया है कि शिकायतों की जांच करेंगे। दोषियों पर कार्रवाई भी करेंगे।
एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने एक बार फिर जिला शिक्षा कार्यालय का घेराव किया। छात्र नेताओं ने डीईओ को लिखित शिकायत कर बताया कि जिले में सिर्फ दो सेंट जेवियर्स स्कूल को सीबीएसई बोर्ड की मान्यता है। दोनों स्कूलों का संचालन भरनी और व्यापार विहार में किया जाता है। लेकिन प्रबंधन दोनों स्कूलों की आड़ में बिना मान्यता प्राप्त जबड़ापारा सरकंडा, उसलापुर, सिरगिट्टी और कोटा स्थित स्कूलो का संचालन सीबीएसई मान्यता के अनुसार कर रहा है। चारों स्कूलों में चारों स्कूलों में पालकों से मोटी फीस लेकर छात्रों को प्रवेश दिया जा रहा है। चारों संस्थानों की आय व्यय का ब्यौरा छिपाया जा रहा है। चारो स्कूलों में बोर्ड कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को परीक्षा दिलाने भरनी स्थित मुख्य ब्रांच ले जाया जाता है। जानते हुए भी कि चारों स्कूलों को जिला शिक्षा विभाग से सिर्फ नर्सरी से आठवीं तक की मान्यता है।
एनएसयूाई के नेताओं ने बताया कि पिछले दिनों शिकायत के दौरान डीईओ ने जांच की बात कही थी। जांच अधिकारी को दो दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया था। लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी जांच नही हुई है। किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं से चारो स्कूल प्रबंधन धड़ल्ले से फर्जीवाड़ा को अंजाम दे रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी से हमारी मांग है कि प्रवेश पर रोक लगाते हुए जांच के साथ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें।
प्रदर्शनकारियों के अनुसार हमने जिला शिक्षा अधिकारी को बताया है कि महमाया पब्लिक स्कूल रतनपुर में सत्र 2022-23 आरटीई के तहत अध्य़यन करने वाले 443 बच्चो ने ड्रॉप आउट किया है। सवाल उठता है कि शहर स्थित प्रतिष्ठित स्कूलों में भी इतनी अधिक संख्या में आरटीई के बच्चे नहीं है। ऐसे में रतनपुर स्थित ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में आरटीआई के इतने बच्चे कहां से आए हैं। सवाल है कि दो साल के भीतर आरटीआई के तहत अध्यन करने वाले बच्चो ने ही ड्रॉप आउट क्यों किया। सच तो यह है कि रतनपुर स्थित स्कूल में आरटीई के नाम पर शासन के पैसेों की लूट हो रही है।
छात्र नेताओं के अनुसार जिले में मान्यता प्राप्त सीबीएसई और सीजीबीएसई संस्थानो में अलग अलग पब्लिकेशन की बुक का उपयोग किया जा रहा है। छात्र और पालक पुस्तकों को खरीदने के लिए बाध्य हैं। बुक एक निश्चित दुकान को छोड़कर कहीं उपलब्ध नहीं होती है। दरअसल बुक्स की आड़ में स्कूल प्रबंधन कमीशनखोरी का कारोबार कर रहा है। जानकारी के अनुसार एनसीईआरटी प्रकाशन की कुछ क्लास की पुस्तकें महज 500 रुपए में मिलती है। लेकिन प्राइवेट प्रकाशन की पुस्तकों की कीमत 2500 से 3000 रुपए हैं। हमारी मांग है कि सीबीएससी और सीजीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों में मुख्यमंत्री डीएवी स्कूल और स्वामी आत्मानंद स्कूलों में चल रही पुस्तकों को ही पढ़ाया जाए।
छात्र नेताओं ने कहा कि मांग को गंभीरता से नहीं लिया गया तो उग्र आंदोलन को मजबूर होंगे। जिला शिक्षा अधिकारी को पांच दिनों का समय दिया है। कार्रवाई नहीं होने की सूरत में जंगी प्रदर्श करेंगे।