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DA Hike 2024: DA के नाम पर अभी भीअधिकारी / कर्मचारी निराश ,डबल इंजन की सरकार का नहीं मिल रहा फायदा ..?

DA Hike 2024/सूरजपुर (मनीष जायसवाल)/विष्णु देव साय सरकार की मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक के पूर्व कयास लगाए गए थे कि चुनाव के बाद फूल फ्लैश सरकार अधिकारी कर्मचारी और पेंशनरों का मंहगाई भत्ता 46 से बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने वाली है।

DA Hike 2024/पर ऐसा कुछ नही हुआ जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों को मोदी की गारंटी के तहत प्रदेश के शासकीय सेवकों को केंद्र के समान 50 प्रतिशत डीए देय तिथि से मिलने और  2019 से लंबित डीए एरियर्स की राशि को जीपीएफ खाते में समायोजित करने की उम्मीदों पर पानी फिर गया।

DA Hike 2024/डबल इंजन का लाभ नहीं मिलने पर कर्मचारी अधिकारी सहित इनके संघ संगठन बहुत आहत है।इसका विरोध कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भाजपा के मोदी की गारंटी वाले संकल्प पत्र को शेयर करके किया।

पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन के धरना स्थल में जो लोग समर्थन देने गए वे आज चुप है..!  इस वर्ग की एक जुटता की तारीखें तो इतिहास में गवाह है। लेकिन सरकार के रणनीतिकार इतनी जल्दी इस वर्ग के महत्व को भूल गए..। राज्य की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले ये वही अधिकारी कर्मचारी है जिन्होंने पिछली भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में ऐतिहासिक मंहगाई भत्ता और एचआरए के लिए छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन किया था।

DA Hike 2024/गांव से लेकर कस्बे और शहर से लेकर संचालनालय और मंत्रालय तक सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन, संचालन समस्याओं का निराकरण , सरकार की बात और शासन का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारी कर्मचारी हड़ताल में चले गए थे। इनके धरना स्थल पर सरकार के खिलाफ आक्रोश था मंच से बहुत कुछ कहा गया। विरोध की बीज यही बोए गए मंच से कई कर्मचारियों और अधिकारियों ने तो जमकर अपनी भड़ास निकाली थी। कुछ मिलता नही देख शून्य में हड़ताल खत्म किया था।

अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन से जुड़े  करीब 110 संघ इस आंदोलन में शामिल थे। कई दफ्तरों में ताले लग गए थे। चपरासी से लेकर उस कार्यालय का प्रमुख अफसर तक इस आंदोलन का हिस्सा बना था। चौकीदारों ने तक चाबी संबंधित को सुपुर्द कर दी थी। इस आंदोलन ने ब्लॉक और जिला स्तर पर  बहुत अपना प्रभाव छोड़ा था।

माना जाता है कि जब चुनावी हार जीत के कारण तलाशते जाते है तो कारणों की रूई की तरह धुनाई की जाती है।इस धुनाई में जो गर्दा निकलता है उस पर मंथन किया जाता है। जो विधानसभा चुनाव में हार गए वो आगे गलती शायद न करे पर जितने वालो ने भी अभी तक धुनाई से निकले इस गर्दे को ठीक से समझा ही नहीं..! पूर्व सरकार की हार का ऐसा ही बड़ा गर्दा तो अधिकारी कर्मचारियों का देय तिथि से डीए यानि मंहगाई भत्ता और एचआरए मकान किराया भत्ता समय पर नही देना भी एक प्रमुख कारण था..!
इतिहास की तारीखों में यह भी दर्ज है कि अपने हितों की अनदेखी से मजबूर इस वर्ग ने आंदोलन की राह पकड़ी थी.. और ये विधानसभा चुनाव के दौरान अपने आक्रोश के रूप में  क्या संदेश दिए होंगे क्या समझाएंगे होंगे..! इस बात को  पूर्व सरकार के रणनीतिकार तो समझने  में देर कर दिए । इधर गलती लोकसभा चुनाव के पूर्व एक बार फिर हो चुकी है। अब वही गलती फिर से तो नही होने जा रही है ..? मंहगाई भत्ता जो इनका अधिकार है इस आर्थिक अधिकार से यह वर्ग इस सरकार में नजर अंदाज तो नही हो रहा है ..?

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