बिलासपुर—जानकारी के अनुसार पुरानी सरकार की फ्री होल्ड लैण्ड स्कीम पर नई सरकार ने ताला लटका दिया है। मतलब ऐसे सभी आवेदनों को निरस्त करने या विचार नहीं करने का आदेश दिया है। जिन्होने फ्रीहोल्ड स्कीम के तहत कब्जे की जमीन का पट्टा पाने के लिए आवेदन किया है। साथ ही अब तक दिए गए पट्टों को यथावत रखने को भी कहा है।
जानकारी देते चलें कि कांग्रेस सरकार तीन साल पहले फ्री होल्ड स्कीम लायी। स्कीम के तहत ऐसी सरकारी या नजूल जमीन जिस पर लोग लम्बे समय से काबिज है। मकान बनाने चाहते हैं। .या उन्हें जमीन की जरूरत है। जमीन पर काबिज ऐसे लोग फ्री होल्ड के तहत निर्धारित शर्तों पर पट्टा के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्कीम के अनुसार कलेक्टर को पट्टा देने का अधिकार दिया गया था।
स्कीम आने के बाद कलेक्टर के सामने धड़ाधड़ आवेदनों का पहाड़ खड़ा हो गया। रसूखदारों ने मौके की सरकारी जमीन पर काबिज कर खुद को लम्बे समय से रहने का प्रमाण पेश कर दिया। शासन प्रशासन ने बोली लगाने की प्रक्रिया के अलावा शर्तों के अनुसार कीमती जमीन का आवंटन भी किया। स्कीम को बन्द करने को लेकर लोग हाईकोर्ट भी गए।
इस दौरान देखने को मिला कि रसखदारों ने दशकों और सैकड़ों साल से शहर के बीच स्थित सरकारी जमीन पर काबिज गरीब लोगों को लाखों रूपए देकर विस्थापित किया। राजस्व अधिकारियों से मिलकर खुद को लम्बे समय से काबिज रहने का रिकार्ड दुूरूस्त करा लिया। शहर से लेकर गांव तक मौके की सरकारी जमीन पर लोग धड़ाधड़ काबिज होने लगे। इसके साथ ही आवेदकों ने दनादन पट्टा के लिए आवेदन भी करने लगे। कई लोगो ने तो गांवों में एकड़ो जमीन हथिया लिया।
बहरहाल नई सरकार की कैबिनेट ने बैठकर फ्री होल्ड जमीन स्कीम के तहत पट्टा नहीं दिए जाने के एलान पर माफियों में हलचल मच गयी है। खासकर ऐसे लोगों को बेचैनी बढ़ गयी है जिन्होने सालों साल से काबिज गरीब परिवारों को हटाने के लिए लाखों रूपये खर्च किए। उन्हें अब कुछ हासिल नहीं होने जा रहा है। जाहिर सी बात है कि उन्हें डर सताने लगा है कि कभी भी प्रशासनिक अमला उन्हें अतिक्रमणकारी मानकर बुलडोजर चलाने का आदेश ना पारित कर दे।