रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ में डायरिया-मलेरिया का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है. डायरिया और डेंगू-मलेरिया के मरीज रोज बढ़ रहे हैं.
बस्तर में मलेरिया का ज्यादा प्रकोप है, वहीं गरियाबंद, कोरबा, दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर, कोंडागांव, कांकेर में भी मलेरिया के केस सामने आए हैं.
मौसम बदलते ही सबसे पहले डायरिया का प्रकोप दिखाई पड़ता है.
छत्तीसगढ़ के कवर्धा में 7 दिनों के भीतर 5 बैगाओं की डायरिया से मौत से हड़कंप मचा हुआ है. बिलासपुर और जांजगीर-चांपा जिले में भी डायरिया से एक-एक मौतें हुई हैं.
कई जगहों पर स्थिति काफी खराब होने से कैंप लगाकर भी उपचार किया जा रहा है.
प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में डायरिया पीड़ित मरीजों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है.
प्रदेश में इस साल जनवरी से अब तक 10,830 डायरिया और 30 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं.
डेंगू-मलेरिया के मरीज बस्तर में ज्यादा मिल रहे हैं.
बस्तर के बाद गरियाबंद जिले में मलेरिया का प्रकोप है. जिले के 15 से अधिक गांवों में मलेरिया फैला हुआ है. यहां से रोज मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं.
इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने अपनी छमाही रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार बीजापुर में विगत छह माह में मलेरिया के 4,441, बस्तर में 1,660, दंतेवाड़ा में 1,640, नारायणपुर में 1,509, सुकमा में 1,144, कोंडागांव में 701 तथा कांकेर में 259 केस मिल चुके हैं.
इधर, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल आने वाले पांच वर्षों में बस्तर को पूरी तरह मलेरिया मुक्त करने का दावा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है.
बस्तर कभी मलेरिया का घर हुआ करता था. हर साल सैकड़ों की संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में चलाए गए सरकारी अभियान के कारण मलेरिया के मामलों में भारी कमी आई है.
राज्य सरकार का दावा है कि बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी गिरावट आई है.
मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक दर के अनुसार, 2018 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया की दर 2.63 फीसदी थी, जो 2023 में घटकर 0.99 फीसदी रह गई है.
इसी तरह बस्तर में यह दर 16.49 फीसदी से घटकर 7.78 फीसदी रह गई है.
मलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 2020 से 2023 के दौरान पहले से नौंवे चरण तक मलेरिया धनात्मक दर 4.60 फीसदी से घटकर 0.51 फीसदी हो चुकी है.
इस अभियान का दसवां चरण 5 जुलाई 2024 को समाप्त हुआ है. इस अभियान के तहत राज्य में 22 जिलों में 16.97 लाख कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का वितरण भी किया गया है.
स्वास्थ्य विभाग ने 2024 की पहली छमाही में मलेरिया के मामलों की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बस्तर जिले में 1660 केस, बीजापुर में 4441, दंतेवाड़ा में 1640, कांकेर में 259, कोंडागांव जिले में 701, नारायणपुर जिले में 1509 और सुकमा में 1144 केस दर्ज किए गए हैं.
छत्तीसगढ़ में डायरिया, मलेरिया सहित स्वास्थ्य संबंधी अन्य मामले में हो रही मौतों को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान में लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
चीफ जिस्टस की डिवीजन बेंच ने इस तरह के मामले को जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है.
बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा संभाग में मलेरिया और डायरिया से अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है.
बुधवार को कोटा विकासखंड के टेंगनमाड़ा में दो भाइयों इमरान और इरफान की कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान मौत हो गई थी.
इसके अलावा कोटा ब्लॉक में ही कांवड़ में मरीज को ढोने सहित कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
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