नई दिल्ली। संवाददाताः देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 प्रस्तुत किया.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में भारत में बेरोजगारी दर 17.8 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो गई है. भारत के रोजगार क्षेत्र में हुआ विकास राष्ट्रव्यापी आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहा है.
सर्वेक्षण के मुताबिक, कार्यबल का 57.3 प्रतिशत हिस्सा स्व-रोजगार में है. 18.3 प्रतिशत बिना वेतन वाले पारिवारिक श्रमिक हैं. 21.8 प्रतिशत आकस्मिक मजदूर और 20.9 प्रतिशत नियमित वेतन, वेतनभोगी श्रमिक हैं. वहीं 45 प्रतिशत कार्यबल कृषि, 11.4 प्रतिशत निर्माण में, 28.9 प्रतिशत सेवाओं और 13 प्रतिशत निर्माण कार्य में हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि महामारी के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने व्यवस्थित तरीके से सुधार किया है. 2023-24 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) महामारी पूर्व 2019-20 के स्तर से 20 प्रतिशत अधिक है.
सर्वेक्षण के मुताबिक पूंजीगत व्यय पर सरकार के ज़ोर और निजी निवेश में निरंतर गति से पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा मिला है.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि ‘वित्तवर्ष 2025 में भू-राजनीतिक, वित्तीय बाज़ार और जलवायु जोखिमों के अधीन, मजबूत विकास की संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं.’
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ द्वारा इस वर्ष अप्रैल में प्रकाशित विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास 3.2 प्रतिशत रहा है. देशों के बीच विकास के अलग-अलग पैटर्न सामने आए हैं.
देशों के विकास प्रदर्शन में भारी अंतर घरेलू संरचनात्मक मुद्दों, भू-राजनीतिक संघर्षों के असमान जोखिम और मौद्रिक नीति में सख्ती के प्रभाव के कारण रहा है.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में बनी गति को 2023-24 में भी जारी रखा, जबकि कई बाहरी चुनौतियां थीं.
2023-24 में भारत की वास्तविक जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2023-24 की चार तिमाहियों में से तीन में 8 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गई.
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ‘समष्टि आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने से सुनिश्चित हुआ कि बाहरी चुनौतियों का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़े.’
पूंजीगत व्यय पर सरकार के ज़ोर और निजी निवेश में निरंतर गति ने पूंजी निर्माण वृद्धि को बढ़ावा दिया है. 2023-24 में सकल स्थायी पूंजी निर्माण में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आगे बढ़ते हुए, स्वस्थ कॉरपोरेट और बैंक बैलेंस शीट निजी निवेश को और मज़बूत करेंगे.
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि ‘आवासीय रियल एस्टेट बाजार में सकारात्मक रुझान संकेत देते हैं कि घरेलू क्षेत्र में पूंजी निर्माण में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है.’
वैश्विक संकटों, आपूर्ति शृंखला में व्यवधानों और मानसून की अनिश्चितताओं से उत्पन्न मुद्रास्फीति के दबावों को प्रशासनिक और मौद्रिक नीति प्रतिक्रियाओं द्वारा कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया गया है.
परिणामस्वरूप 2022-23 में औसतन 6.7 प्रतिशत के बाद, खुदरा मुद्रास्फीति 2023-24 में घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई.
सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के बावजूद सामान्य सरकार के राजकोषीय संतुलन में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है. प्रक्रियात्मक सुधारों, व्यय संयम और बढ़ते डिजिटलीकरण द्वारा संचालित कर अनुपालन लाभ ने भारत को यह बढ़िया संतुलन हासिल करने में मदद की.
माल की कम वैश्विक मांग के कारण बाहरी संतुलन पर दबाव पड़ा है, लेकिन मजबूत सेवा निर्यात ने इसे काफी हद तक संतुलित कर दिया है.
परिणामस्वरूप, चालू खाता घाटा 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत रहा, जो 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.0 प्रतिशत घाटे से बेहतर है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश निरंतर उच्च वृद्धि और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए महत्वपूर्ण है. इस प्रवृत्ति को महामारी के बाद 18-28 वर्ष के नए ईपीएफ सदस्यों में निरंतर वृद्धि के साथ औपचारिक रोजगार डेटा द्वारा समर्थित किया गया है.
महिला श्रमबल भागीदारी दर पिछले छह वर्षों से बढ़ रही है. जिसमें 2017-18 से 2022-23 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में 16.9 प्रतिशत अंक की वृद्धि देखी गई है.
कृषि उत्पादन में वृद्धि और पाइप पानी, स्वच्छ ईंधन और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं तक बेहतर पहुंच इस वृद्धि में योगदान देने वाले प्रमुख कारक हैं.
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