रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर के डीन फैकल्टी वेलफेयर ऑफिस, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, कंप्यूटर एप्लीकेशन विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के साथ-साथ सहयोग – मेंटरशिप क्लब ने 2 अगस्त 2024 को “ऑर्गन डोनेशन एंड बेसिक लाइफ सपोर्ट” पर एक ज्ञानवर्धक जागरूकता सत्र का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. आर.के. त्रिपाठी, निदेशक (प्रभारी), एनआईटी रायपुर, विशिष्ट अतिथि डॉ. डी. सान्याल, डीन (संकाय कल्याण) रहे।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग की विभागाध्यक्ष डॉ. एस.एल. सिन्हा, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की विभागाध्यक्ष डॉ. अनामिका यादव, कंप्यूटर एप्लीकेशन की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियंका त्रिपाठी, आशीर्वाद सोशल ग्रुप की कोर सदस्य श्रीमती ज्योति राव, श्रीमती जयश्री ढेकने के साथ-साथ संकाय सदस्य और छात्र भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
एन.ए.बी. दृष्टिबाधित बालिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती हेमलता मिश्रा और संकाय सदस्य वंदना जी भी इस दौरान उपस्थित रहे, साथ ही मुख्य वक्ता के रूप में रामकृष्ण केयर अस्पताल से डॉ. अजीत कुमार मिश्रा और डॉ संतोष कुमार मिश्रा तथा सुमित फाउंडेशन से श्री रविन्द्र सिंह शास्त्री भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का समन्वयन माइनिंग इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ. आशीष कुमार दास और आईटी की सहायक प्रोफेसर डॉ. मृदु साहू ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत विशेष अतिथियों को पौधे भेंट करने के साथ हुई, जिसके बाद प्रेरणा नेत्रहीन विद्यालय के विद्यार्थियों ने एक मधुर गीत प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था गिर कर उठना उठकर चलना यह नियम है संसार का, जिसके लिए उन्हें सम्म्मानित किया गया।
डॉ. त्रिपाठी ने हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरणा लेते हुए ऋषि दधीचि का उदाहरण दिया कि कैसे उन्होंने एक राक्षस को हराने में अपनी हड्डियों से हथियार बनाने के लिए निस्वार्थ कार्य किया था। डॉ. सान्याल ने उल्लेख किया कि चूंकि एनआईटी में बड़ी संख्या में लोग हैं, इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम अधिक से अधिक लोगों के बीच अंग दान के लिए जागरूकता बढ़ाएं। डॉ. सिन्हा ने कहा कि मृत्यु के बाद, हम अपने अंगों को दान करके अपनी विरासत को करुणा में बदलकर दूसरों का समर्थन करना जारी रख सकते हैं।
डॉ. अजीत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंग दान लोगों को अपने उपहारों के माध्यम से जीवित रहने देता है, क्योंकि एक दाता आठ लोगों की जान बचा सकता है। उन्होंने सभी से आधार कार्ड पंजीकरण के माध्यम से अंग दान करने और स्कूलों में जागरूकता बढ़ाने का संकल्प लेने का आग्रह किया। डॉ. अजीत ने यह भी कहा कि अत्यधिक शराब के सेवन से कई रोग हो सकते है और कि अंगों को या तो जीवित रहते हुए या तो मस्तिष्क की मृत्यु की पुष्टि के बाद ही दान किया जा सकता है।
उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि केवल 10% लोग अंग दान करते हैं और सालाना 1.5 लाख मौतें होती हैं| उन्होंने ऑर्गन बैंक के विचार का समर्थन किया, साथ ही अंग बेचने को अवैध बताते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में SOTTO को ऑथराइज्ड ट्रांसप्लांटेशन की अनुमति होने की जानकारी दी।
डॉ. संतोष ने बताया कि कैसे आम आदमी बेहोश और प्रतिक्रियारहित दोनों प्रकार के लोगों का जीवन बचा सकते हैं। उन्होंने संपर्क करने से पहले स्तिथि की जांच करने और घटनास्थल के सुरक्षित होने की पुष्टि करने की सलाह दी। उन्होंने साँस लेने की जाँच करने और यदि आवश्यक हो तो सीपीआर देने की बात कही। इस दौरान सीपीआर का लाइव प्रदर्शन भी किया जिसमें छाती को दबाने और सांसों को बचाने की सही तकनीक दिखाई गई।
श्री शास्त्री ने बताया कि वित्तीय बाधाओं के बावजूद अंग प्रत्यारोपण का प्रबंधन कैसे किया जाए और इस बात पर जोर दिया कि कई लोगों की जान बचाने के लिए अंग दान आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, ब्लाइंड स्कूल की एक छात्रा छाया ने अंग दान के महत्त्व के बारे में बात की और बताया कि यह हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है।यह कार्यक्रम छात्रों के साथ-साथ संकाय सदस्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ संपन्न हुआ।