श्रवण गर्ग
क्या पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश जैसे हालात ‘बनाए’ जा रहे हैं ?
बांग्लादेश में हुई तख्ता पलट की कार्रवाई के पीछे वहाँ के छात्रों का आरक्षण के ख़िलाफ़ आंदोलन था. कोलकाता में मेडिकल की छात्रा के साथ हुई बलात्कार की घटना के बाद से वहाँ भी छात्र आंदोलनरत हैं.
बांग्लादेश का मामला शेख हसीना की हठधर्मिता से बिगड़ा था. क्या पश्चिम बंगाल में भी कुछ वैसे ही स्थिति है ?
ममता ने आरोप लगाया है कि वाम (वामपंथी) और राम (भाजपा) राज्य में अशांति भड़का रहे हैं. पंद्रह अगस्त की एक रैली में मुख्यमंत्रीने यहाँ तक कह दिया कि उनके यहाँ भी बांग्लादेश बनाने की कोशिशें हो रही हैं.
ममता ने साथ में यह भी जोड़ा था कि उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से कोई मोह नहीं है. आश्चर्यजनक है कि ममता ने ही पीड़िता के लिए न्याय की माँग को लेकर समर्थकों के साथ सड़क पर प्रदर्शन भी किया.
पिछले तेरह सालों से मुख्यमंत्री के पद पर क़ाबिज़ और हाल तक स्वयं को विपक्ष की स्वयंभू सर्व-शक्तिमान नेता समझने वाली ममता इस समय सबसे कमज़ोर मुख्यमंत्री नज़र आ रही हैं. वे एकदम अकेली पड़ गईं हैं.
डर यह है कि जिस जनता के समर्थन के दम वे असीमितअहंकार के साथ शासन कर रहीं थीं, अब वह भी उनके ख़िलाफ़ होती दिख रही है. विपक्षी इंडिया गठबंधन भी उनके साथ खड़ा नहीं नज़र आता है !
राहुल गांधी ने तो कोलकाता के बलात्कार की घटना पर राज्य सरकार के ख़िलाफ़ तंज कसते हुए यहाँ तक कह दिया कि: “पीड़िता को न्याय दिलाने की जगह आरोपियों को बचाने की कोशिश अस्पताल और स्थानीय प्रशासन पर कड़े प्रश्न खड़े करता है.”
साल 1998 में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस बनाने के बाद से उनहत्तर-वर्षीय ममता ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कई लड़ाइयों का सामना किया है. क्या वे इस लड़ाई से मुक़ाबला कर पाएंगी, जिसमें उनका संघर्ष अब केंद्र के साथ-साथ अब उस विपक्ष से भी है, जिसका वे अपनी ही शर्तों पर नेतृत्व करना चाहतीं थीं ?
ममता बनर्जी अगर पुख़्ता तौर पर मानतीं हैं कि उनके राज्य को बांग्लादेश बनाया जा रहा है तो उन्हें सारे काम छोड़कर भारत में शरणागत शेख हसीना से मिलने जाना चाहिए. हसीना से उन्हें ज्ञान प्राप्त करना चाहिए कि पश्चिम बंगाल में किन ग़लतियों को नहीं दोहराया जाना चाहिए, जो हसीना द्वारा बांग्लादेश में की गईं थीं !
इसी प्रकार ममता राहुल और इंडिया गठबंधन के अन्य नेताओं से चर्चा के ज़रिए समझाएं कि कोलकाता और संदेशखाली सहित राज्य के सभी स्थानों पर महिलाओं के सम्मान की रक्षा में उनकी सरकार द्वारा कितने काम किए गए हैं. ममता निश्चित ही दोनों काम नहीं करेंगी और किसी नए संघर्ष के लिये केंद्र की करवाई का इंतज़ार करेंगी.
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